नई दिल्ली : भारतीय पेय पदार्थ संघ (IBA/Indian Beverage Association) ने कहा कि, उन्हें उम्मीद है कि कार्बोनेटेड पेय पदार्थों की श्रेणी पर 12 प्रतिशत उपकर 2026 में माफ कर दिया जाएगा, जिससे इस श्रेणी पर कर घटकर 28 प्रतिशत रह जाएगा। यह बयान मंगलवार को आई उन रिपोर्टों के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि दरों को तर्कसंगत बनाने पर मंत्रियों के समूह (GoM) ने वातित पेय पदार्थों और तंबाकू जैसी वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) को बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया है।
वर्तमान में, वातित पेय पदार्थों पर, चाहे उनमें चीनी की मात्रा कितनी भी हो, 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है – जो सबसे अधिक स्लैब है।साथ ही 12 प्रतिशत का क्षतिपूर्ति उपकर भी लगता है। इससे इस श्रेणी पर कुल कर का बोझ 40 प्रतिशत हो जाता है। यहां तक कि शून्य-चीनी उत्पादों पर भी 40 प्रतिशत कर लगता है। आईबीए के अध्यक्ष सीके जयपुरिया ने कहा, हमने सरकार के सभी स्तरों पर अपनी बात रखी है, लेकिन कराधान हमारे लिए एक बाधा बना हुआ है। हालांकि, बाद में मंगलवार को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने इन रिपोर्टों को “समय से पहले और अटकलें” करार दिया। आईबीए के महासचिव जेपी मीना ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, जीएसटी दरों के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण होना चाहिए। अगर चीनी समस्या है, तो सभी चीनी उत्पादों पर उच्च स्लैब लागू होना चाहिए। कर संरचना उद्योग में निवेश के लिए एक बाधा है।