इस्लामाबाद : पाकिस्तान शुगर मिल्स एसोसिएशन (पंजाब जोन) के प्रवक्ता ने एक बार फिर कहा है कि, निर्यात के कारण घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें नहीं बढ़ी हैं। एक बयान में उन्होंने कहा कि, स्थानीय मीडिया द्वारा कीमतों में बढ़ोतरी को चीनी निर्यात से जोड़कर कुछ निराधार भ्रांतियां फैलाई गई हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सरकार की चीनी निर्यात नीति दोषपूर्ण थी और चीनी के निर्यात के बाद कीमतों में बढ़ोतरी होने से इसका उल्टा असर हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि, उद्योग इस बात पर सहमत है कि निर्यात अवधि के दौरान एक्स-मिल चीनी की कीमतें 140 रुपये एक्स-मिल प्रति किलोग्राम पर सीमित रहेंगी, जो इसकी उत्पादन लागत से कम है।
हालांकि, भारी अधिशेष स्टॉक के कारण, एक्स-मिल कीमतें कई महीनों तक लगातार 120 से 125 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रहीं, जो इस बेंचमार्क से काफी कम है। कुल उपलब्ध चीनी का लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन लागत से काफी कम पर बेचा गया, जिससे उद्योग को भारी नुकसान हुआ। जनवरी 2025 से कोई चीनी निर्यात नहीं हुआ है, जबकि चीनी की कीमतें बहुत बाद में बढ़ीं।पीएसएमए प्रवक्ता ने अपना रुख दोहराते हुए कहा कि मूल्य निर्धारण प्रणाली बाजार की ताकतों पर निर्भर है। खुदरा बाजार में चीनी की कृत्रिम मूल्य वृद्धि के असली लाभार्थी सट्टा माफिया, जमाखोर और मुनाफाखोर हैं, जो बाजार की ताकतों को प्रभावित करने के लिए अफवाह फैलाते हैं, ताकि उनके पास उपलब्ध चीनी पर अनुचित लाभ कमाया जा सके।
चीनी उद्योग को लगता है कि सफेद चीनी के आयात की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि घरेलू स्टॉक अगले पेराई सत्र की शुरुआत तक हमारी घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। हालांकि, पीएसएमए एक नीति तंत्र के माध्यम से कच्ची चीनी के आयात का समर्थन करता है और सरकार द्वारा गठित मंत्रिस्तरीय समिति को अपने प्रस्ताव सौंप चुका है। साथ ही पीएसएमए चीनी क्षेत्र को पूरी तरह से नियंत्रण मुक्त करने की मांग करता है, ताकि किसानों और कृषि अर्थव्यवस्था के लाभ के लिए चावल और मक्का क्षेत्रों की तरह चीनी को भी मुक्त बाजार सिद्धांतों का पालन करने की अनुमति मिल सके।