मुंबई : चीनीमंडी
महाराष्ट्र का चीनी उद्योग एक भयानक संकट से गुजर रहा है, मिलें उत्पादन लागत और बिक्री मूल्य के बीच तालमेल रखने में असमर्थ हुई हैं। अधिकांश मिलों की ‘बैलेंस शीट’ खराब हुई हैं, और मिलों को खुद को जीवित रहने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
2018-19 में पेराई सत्र में लगभग 102 सहकारी और 93 निजी चीनी मिलों ने लगभग 107 लाख टन चीनी उत्पादन किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 20,000 करोड़ कीमत की तकरीबन 65 लाख टन चीनी गोदामों में पड़ी है।। ताजा उत्पादित चीनी के निपटान के अलावा, मिलों को 42 लाख टन के कैरी-फॉरवर्ड (अधिशेष) स्टॉक को बेचने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। उद्योग के सूत्रों ने कहा कि, गन्ने की कम उपलब्धता, बकाया एफआरपी और परिचालन लागत के मुद्दों के कारण 195 मिलों में से अधिकांश मिलें आने वाले पेराई सत्र में भाग नहीं ले सकती हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, सरकार ने चीनी उद्योग की मदद करने के लिए पर्याप्त नीतियां बनाई थीं और अतिरिक्त उत्पादन और उच्च उत्पादन लागत से जूझ रहे इस क्षेत्र को अधिक समर्थन देना असंभव होगा। उन्होंने गन्ने के रस से इथेनॉल का उत्पादन करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि, बैंक मिलों को ऋण देने में भी अनिच्छुक थे।
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