बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को 21 फरवरी, 2022 को जारी महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव (जीआर) को रद्द कर दिया, जिसमें गन्ना किसानों को दो किस्तों में उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का भुगतान करने का प्रावधान था, और इसे “अवैध और अमान्य” करार दिया।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को सही पाया कि कथित जी.आर. “खराब और अवैध” है, और कहा कि इसे “वैध नहीं माना जा सकता।” यह याचिकाएँ स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने दायर की थीं, जो गन्ना उत्पादक किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, साथ ही कुछ चीनी मिलें भी इस फैसले से व्यथित थीं।
एकमुश्त भुगतान का रास्ता साफ करते हुए न्यायमूर्ति गिरीश एस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत एम सेठना की पीठ ने कहा कि गन्ना किसान पेराई सत्र की शुरुआत में चीनी मिलों को आपूर्ति किए गए गन्ने के लिए एफआरपी पाने के हकदार हैं।
एफआरपी सरकार द्वारा घोषित एक मूल्य है जिसे चीनी मिलें किसानों को उनसे खरीदे गए गन्ने के बदले में देने के लिए बाध्य हैं। एफआरपी प्रणाली 2009 में केंद्र द्वारा शुरू की गई थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों को पर्याप्त न्यूनतम मूल्य मिले