जयपुर: चीनीमंडी
जीएसटी और मंडी सेस से राजस्थान के चीनी कारोबारी बेहाल हो गये है, प्रदेश में चीनी पर लागू मंडी सेस प्रदेश से के कारोबारियों को सालाना लगभग 125 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा हैं, राज्य सरकार को भी 350 करोड़ रुपए के टैक्स का नुकसान हो रहा है। कारोबारियों का कहना है की, जीएसटी और मंडी सेस से चीनी महंगी होती है, जिसका सीधा लाभ पड़ोसी राज्यों के कारोबारी को मिल रहा हैं। राजस्थान कारोबारियों ने सरकार को पत्र लिखकर, बजट में चीनी पर मंडी सेस कम करने का आग्रह किया है, नही तो 20 जुलाई को बैठक कर विरोध की रणनीति तय करने का अल्टीमेटम दिया है।
प्रदेश में चीनी की बिक्री पर कृषि उपज मंडी समिति की ओर से 1.60 प्रतिशत शुल्क लिया जाता है। जीएसटी में चीनी पांच प्रतिशत टैक्स की श्रेणी में हैं। ऐसे में प्रदेश में लागू सेस हटा लेना चाहिए, क्योंकि देश में किसी भी राज्य में चीनी पर सेस नहीं लगा हुआ हैं। सेस लागू होने से प्रदेश में बिक रही चीनी पड़ोसी राज्यों के मुकाबले महंगी हैं। खुदरा कारोबारी यहां के थोक कारोबारियों के मुकाबले अन्य राज्यों से चीनी खरीदना अधिक फायदे का सौदा मानते हैं। जिससे इसका सीधा लाभ यूपी, हरियाणा, मध्यप्रदेश और गुजरात के कारोबारियों को हो रहा है।
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