नई दिल्ली : सरकार एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों को लागू कर रही है, साथ ही चीनी मिलों और अनाज आधारित संयंत्रों को उत्पादन बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इन पहलों का उद्देश्य एथेनॉल आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और टिकाऊ ईंधन विकल्पों को बढ़ावा देना है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2022 तक अधिसूचित योजनाओं के तहत कुल 304 एथेनॉल निर्माण डिस्टिलरियों (स्टैंडअलोन भट्टियों और चीनी मिलों से जुड़ी भट्टियों सहित) ने वित्तीय सहायता प्राप्त की है/कर रही हैं।
लोकसभा में अतारांकित प्रश्न के उत्तर में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री निमूबेन जयंतीभाई बंभानिया ने बताया कि, 2018 से 2022 तक एथेनॉल उत्पादन क्षमता में वृद्धि और संवर्धन के लिए चीनी मिलों/अनाज आधारित डिस्टिलरियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना के तहत, सरकार ने कुल 1212 पात्र परियोजनाओं (590 मोलासेस आधारित, 474 अनाज आधारित और 148 दोहरे फ़ीड) को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
योजना के लिए कुल बजट परिव्यय 4687 करोड़ रुपये है। पात्र चीनी मिलों/अनाज आधारित डिस्टलरीयों को ब्याज अनुदान जारी करने के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है। पात्र चीनी मिलों/अनाज आधारित डिस्टलरीयों के ऋणदाता बैंकों को आगे भुगतान के लिए नाबार्ड को धनराशि जारी की जाती है।नाबार्ड से प्राप्त जानकारी के अनुसार, योजना की शुरुआत से अब तक कर्नाटक राज्य की 6 डिस्टिलरियों को उनके ऋणदाता बैंकों द्वारा गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) घोषित किया गया है।
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