मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गन्ने के एफआरपी को किश्तों में राज्य सरकार के आदेश को खारिज कर दिया है। राज्य सरकार ने एक महीने पहले के इस फैसले का संज्ञान लेते हुए सहकारिता विभाग ने आज (15 अप्रैल) ’21 फरवरी, 2022 के आदेश को निरस्त करते हुए’ एक नया सरकारी फैसला जारी किया है। आदेश में यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि, एफआरपी का भुगतान करते समय पूर्ववत प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। इससे फैक्ट्रियों को एकमुश्त एफआरपी प्रक्रिया तुरंत अपनानी होगी।
केंद्र सरकार के गन्ना नियंत्रण अधिनियम-1960 के तहत पिछले सीजन की पैदावार को ध्यान में रखते हुए गन्ना कटाई के चौदह दिन के भीतर किसान को एफआरपी (उचित एवं वाजिब मूल्य) की एकमुश्त राशि का भुगतान करना अनिवार्य था। हालांकि,राज्य सरकार ने 21 फरवरी, 2022 को एक अलग आदेश जारी कर उक्त कानून में संशोधन किया। तदनुसार, यह फार्मूला तय किया गया कि पहली किस्त मूल कटौती (10.25 प्रतिशत) पर आधारित होनी चाहिए और एफआरपी को सीजन के अंत में अंतिम कटौती के आधार पर अंतिम रूप दिया जाना चाहिए और एफआरपी की शेष किस्त का भुगतान किया जाना चाहिए।
चीनी मिलों ने भी इसका फायदा उठाया और एफआरपी में कटौती कर दी। इस संबंध में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता, पूर्व सांसद राजू शेट्टी व अन्य ने योगेश पांडे के माध्यम से मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। 17 मार्च को उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि, राज्य सरकार को केंद्रीय कानून में कोई अनावश्यक बदलाव करने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा एफआरपी को विभाजित करने के आदेश को भी अवैध घोषित कर दिया गया। अब सहकारिता विभाग के स्पष्ट आदेश के कारण पिछले सीजन की चीनी रिकवरी और कटाई परिवहन लागत को ध्यान में रखते हुए एफआरपी का भुगतान करना अनिवार्य हो गया है।