गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को आसान करने के लिए सरकार चीनी का बफर स्टॉक बनाने पर विचार कर रही है। इस पहल से चीनी मिलों को 22 हजार करोड़ की बकायेदारी को चुकाने में मदद मिलेगी। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि गन्ना किसानों और चीनी उद्योग को उबारने के लिए सरकार हर संभव मदद करेगी।
चालू पेराई सीजन के दौरान चीनी का कुल उत्पादन 3.10 करोड़ टन हो चुका है, जो एक रिकॉर्ड है। इससे जिंस बाजार में चीनी का भाव लागत मूल्य के मुकाबले नीचे चल रहा है। इससे मिलों की वित्तीय हालत खस्ता हो चुकी है। नकदी के अभाव में मिलें गन्ना किसानों का भुगतान करने में नाकाम रही हैं। बृहस्पतिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार के पास 30 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक बनाए जाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। इसमें सरकार चीनी के 30 रुपये प्रति किलो के भाव के हिसाब से मिलों को एडवांस भुगतान कर सकती है। सरकार इस मसौदे पर गंभीरता से विचार कर रही है। हम इस बारे में दूसरे विभागों की राय भी ले रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर चीनी को लेकर बढ़ती समस्या को तत्काल निपटाने का आग्रह किया था। इसके बाद से बफर स्टॉक के मसौदे पर अंतर मंत्रलयी समिति विचार विमर्श कर रही है। सूत्रों का कहना है कि खाद्य मंत्रलय ने पहले ही बफर स्टॉक के अलावा सभी मिलों का मासिक कोटा जारी करने और स्टॉक सीमा निर्धारित करने के प्रस्ताव का कैबिनेट नोट तैयार किया है। 20 लाख टन चीनी निर्यात करने के फैसले पर मिलें अमल करने में असफल रही हैं क्योंकि अंतररष्ट्रीय बाजार में कीमतें बहुत नीचे चल रही हैं। सरकार अब इसके बावत एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
वर्तमान में मिल से निकलते समय चीनी का मूल्य 25.50 से 26 रुपये प्रति किलो चल रहा है। यह मूल्य चीनी के उत्पादन लागत से नीचे चल रहा है, जिससे घाटा बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में गन्ना किसानों के भुगतान के लिए 5.50 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने की दर से जारी किया है। घरेलू बाजार में घटती कीमतों को थामने के लिए केंद्र ने चीनी आयात पर 100 फीसद शुल्क लगा दिया है जबकि निर्यात पर शुल्क समाप्त कर दिया है। लेकिन बात नहीं बन पा रही है।