हैदराबाद : नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने निज़ाम डेक्कन शुगर फैक्ट्री की हैदराबाद एनसीएलएटी द्वारा जारी की गई परिसमापन (लिक्विडेशन) प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। तेलंगाना सरकार की ओर से एक याचिका पर एनसीएलएटी ने हैदराबाद एनसीएलटी द्वारा नियुक्त आधिकारिक परिसमापक (लिक्विडेटर) को निर्देश दिया है कि, वह निजाम शुगर की संपत्तियों को अलग न करे और संपत्तियों पर कोई रोक न लगाए। एनसीएलटी ने आर रामकृष्ण गुप्ता को परिसमापक नियुक्त किया था।
अपने आदेश में, एनसीएलटी, हैदराबाद ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 के प्रावधानों के तहत निज़ाम शुगर्स के परिसमापन का आदेश दिया था। याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि, निजाम शुगर्स को रिज़ॉल्यूशन के बजाय परिसमापन की ओर ले जाया गया। एनसीएलएटी, हैदराबाद में दिवाला प्रक्रिया के दौरान, लेनदारों की समिति ने 11 बैठकें कीं, इस दौरान कुछ लोगों ने निजाम शुगर्स में रुचि दिखाई थी। हालाँकि, रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल ने 2015 में जारी सरकारी आदेश पर विचार करने के अनुरोध के साथ तेलंगाना के उद्योग और वाणिज्य विभाग से संपर्क किया, जिसमें राज्य सरकार ने निजी फर्म के साथ संयुक्त उद्यम समझौतों को रद्द करने और सहकारी क्षेत्र में मिल का प्रबंधन करने का निर्णय लिया था। तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेतृत्व ने 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान निजाम शुगर्स को पुनर्जीवित करने का वादा किया था। हाल के आम चुनावों के दौरान ही एनसीएलएटी द्वारा परिसमापन प्रक्रिया की घोषणा की गई थी।
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