हैदराबाद: चीनी मंडी
तेलंगाना में चीनी मिलों द्वारा किसानों का 2018-2019 सीजन का 120 करोड़ रुपये का भुगतान अभी भी बकाया है। राज्य के सैकड़ों असहाय गन्ना किसानों ने अपनी पीड़ा के लिए भाजपा सरकार की नीतियों को दोषी ठहराया है। भारतीय किसान संघों (CIFA) तेलंगाना के अध्यक्ष के. सोमशेखर राव ने केंद्र सरकार को दोषी ठहराते आरोप लगाया कि, केंद्र गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बढ़ा रही है, जिससे गन्ना किसान कठिनाइयों से गुजर रहे है।
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में दी गई जानकारी में, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने तर्क दिया कि, चीनी की कीमतों में गिरावट के कारण ऐसी हालत है। पासवान ने कहा, “2017-18 और 2018-19 में अधिशेष चीनी उत्पादन के कारण चीनी की कीमतों में गिरावट ने चीनी मिलों के आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जिससे किसानों का गन्ना मूल्य बकाया जमा हो गया। राव ने कहा, भाजपा सरकार गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं बढ़ा रही है। एमएसपी 3,750 रुपये प्रति टन होना चाहिए। राज्य में किसानों की स्थिति बहुत खराब है।
सोमशेखर ने कहा कि, संकटग्रस्त किसानों पर कर्ज का बोझ पड़ रहा है, वित्तीय संकट से निपटने के लिए किसानों को निजी ऋणदाताओं से कर्ज लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। केवल तेलंगाना ही नही, बल्कि बिहार, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में भी किसान बहुत पीड़ित हैं। इन सबके बीच सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश में हैं।
यह न्यूज़ सुनने के लिए इमेज के निचे के बटन को दबाये.