हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (हिसार) के वैज्ञानिक ने ऑस्ट्रेलिया टीम के साथ मिलकर नया संशोधन किया है, जिसमे चीनी मिलों से निकलने वाले जैविक कचरे से निपटने में कामयाबी हासिल हुई है। चीनी मिल के कचरे का अब उर्वरक के रूप में इस्तेमाल होगा। ‘एचएयू’ के रसायन विज्ञान विभाग के अनिल दुहन ने निष्कर्ष निकाला है कि, चीनी मिलों के जैविक कचरे का उपयोग न केवल उर्वरक के रूप में किया जा सकता है, बल्कि यह विभिन्न कीटनाशकों के दुष्प्रभावों को भी समाप्त कर सकता है।
दुहन ने ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड के कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (CSIRO) के एंड्योरेंस रिसर्च फेलोशिप के दौरान दो अन्य सदस्यों के साथ इसपर संशोधन किया। दुहन ने कहा कि, लगभग 95% ऑस्ट्रेलिया का गन्ना क्वींसलैंड में उगाया जाता है। गन्ने और अन्य फसलों में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक समुद्र में बह रहे थे, जिससे ग्रेट बैरियर रीफ और अन्य समुद्री जीवों को खतरा था। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार समुद्र में बहने वाले कीटनाशकों के मुद्दे से निपटने के लिए गंभीर थी। ‘एचएयू’ के कुलपति प्रोफेसर के पी सिंह, अनुसंधान के निदेशक एस के सहरावत और बुनियादी विज्ञान महाविद्यालय के डीन राजवीर सिंह ने दुहन को शोध के लिए बधाई दी है।
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