चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी और भारी कैरी ओवर स्टॉक के कारण जिम्बाब्वे के चीनी निर्यात में 21 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। पिछले साल देश ने 1,20,000 टन चीनी का निर्यात किया, जो 2019 में 1,45,000 टन तक जा सकता है।
जिम्बाब्वे मुख्य रूप से यूरोपीय संघ, बोत्सवाना, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका और पूर्वी अफ्रीका (केन्या) को चीनी निर्यात करता है। 2017/18 टैरिफ रेट कोटा (TRQ) को पूरा करने के लिए, जिम्बाब्वे ने अमेरिका को लगभग 17,443 टन कच्ची चीनी का निर्यात किया। अमेरिका TRQ के तहत जिम्बाब्वे को शुल्क मुक्त चीनी के लिए अनुमति देता है।
जिम्बाब्वे के लिए, यूरोपीय बाजार जैसे अन्य बाजारों की तुलना में अमेरिका बाजार आकर्षक है। रिपोर्टों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में कम कीमतों के कारण यूरोपीय संघ को चीनी निर्यात में गिरावट आई है।
आपको बता दे, कुछ महीने पहले देश में चीनी की कमी की अफवाहें फैली थी, जिसके बाद चीनी की कीमतें दोगुनी से अधिक हो गईं थी। जिसके बाद द जिम्बाब्वे शुगर एसोसिएशन को लोगो को इसको लेकर अपील करनी पड़ी थी। द जिम्बाब्वे शुगर एसोसिएशन (ZSA) के चेयरपर्सन, मुचुआदेई मसुंडा, ने कहा था की, “राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, देश में पर्याप्त चीनी स्टॉक है। हम सभी खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं से आग्रह करते हैं कि वे जिम्मेदारी से व्यापार करे। हम अपने ग्राहकों और हितधारकों को आश्वस्त करते हैं कि जिम्बाब्वे चीनी उद्योग के पास अगले सत्र में चीनी के औद्योगिक और घरेलू दोनों को पूरा करने के लिए पर्याप्त चीनी स्टॉक है।”
ज़िम्बाब्वे में दो चीनी मिलें हैं, हिप्पो वैली एस्टेट्स लिमिटेड और ट्रायंगल शुगर एस्टेट्स लिमिटेड, जिनकी संयुक्त चीनी उत्पादन क्षमता लगभग 6,40,000 टन है।
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