नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चीनी उद्योग के लिए सरकार की ओर से घोषित बेलआउट पैकेज 8,500 करोड़ रुपये का नहीं, बल्कि 4,047 करोड़ रुपये का ही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने यह बात कही है। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर चीनी मिलों को संकट से उबारने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है। नकदी के संकट से जूझ रहे चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 22,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है।
चीनी उद्योग की सहायता के लिए पवार ने पत्र में कई मांगे रखी हैं। उन्होंने मिल से निकलने वाली चीनी की कीमत बढ़ाने, 80 लाख टन चीनी निर्यात के लिए नीति बनाने और गन्ना किसानों को मिलने वाली उत्पादन आधारित सब्सिडी को दोगुना करते हुए 11 रुपये प्रति क्विंटल करने की अपील की है। पवार ने एथेनॉल की कीमत को बढ़ाकर 53 रुपये प्रति लीटर करने और पुराने कर्जो को चुकाने के लिए तीन साल की अतिरिक्त छूट देने जैसे कदम उठाने की भी मांग की।
रिकॉर्ड उत्पादन के चलते चीनी मिल बड़े घाटे में चल रहे हैं। 2017-18 के चीनी सीजन में रिकॉर्ड 3.15 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि घरेलू बाजार में चीनी की मांग 2.5 करोड़ टन है। इस कारण से चीनी की कीमत उत्पादन लागत से भी नीचे चली गई है। चीनी उद्योग की ओर से लगातार मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने छह जून को 8,500 करोड़ रुपये के बेलआउट पैकेज की घोषणा की। इसमें चीनी का बफर स्टॉक तैयार करने, एथेनॉल उत्पादन की क्षमता बढ़ाने और मिलों का नुकसान कम करने के लिए न्यूनतम बिक्री की कीमत तय करने की बात कही गई है। पैकेज में गन्ना किसानों के लिए 1,540 करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित सब्सिडी भी शामिल है।
पवार ने इस संबंध में हुई घोषणाओं को भ्रमित करने वाली बताया है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, ‘पहले 8,500 करोड़ रुपये के बेलआउट पैकेज की बात छपी। बाद में इसे 7,000 करोड़ रुपये कहा गया। यह भ्रमित करने वाला है।’ पवार ने कहा कि घोषणाओं का विश्लेषण करें तो उद्योग को मिलने वाली असल सहायता की तस्वीर साफ हो जाती है। घोषणा में 1,540 करोड़ रुपये गन्ना किसानों को सब्सिडी के रूप में देने, 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने के लिए 1,175 करोड़ रुपये देने और एथेनॉल उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए 1,332 करोड़ रुपये शामिल हैं। सभी घोषणाएं मिलकर 4,047 करोड़ रुपये की ही बनती हैं। ऐसे में पैकेज को 8,500 करोड़ रुपये या 7,000 करोड़ रुपये कहना गलत है।
पवार ने कहा कि एथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए बैंक से लिए गए कर्ज पर ब्याज में छूट से तत्काल कोई लाभ नहीं मिलेगा। सही कदम होगा कि एथेनॉल की कीमत 53 रुपये प्रति लीटर तय की जाए। उन्होंने मिल से निकलने वाली चीनी की कीमत भी 29 रुपये की जगह 34 से 36 रुपये प्रति किलो तय करने की मांग की। पवार ने अतिरिक्त चीनी के निर्यात के लिए भी नीति बनाने पर जोर दिया।