पुणे : चीनी मंडी
2019 – 2020 चीनी सीजन शुरू होने से पहले आज चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा बैठक का आयोजन किया गया है। इस बैठक में चीनी उद्योग से जुड़े लोग सहित विशेषज्ञ शामिल हुए है। इस बैठक में पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर और सांगली जिले की बाढ़ की स्थिती, सूखाग्रस्त मराठवाडा और गन्ना उत्पादन इसपर विशेष जोर दिया जाना है। इस बैठक के लिए राज्य के सभी चीनी मिलों के प्रबंध संचालक भी निमंत्रित है। यह बैठक आज सुबह 11 बजे चीनी आयुक्त कार्यालय में शुरू हो गयी है।
बैठक में चीनी सीझन शुरू करने के साथ साथ अन्य विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा होनी है। मंदार गाडगे, हनमंत गायकवाड, राजेश जाधववर, केशव तेलंग, मंगेश तिटकारे, अतुल मुले, डॉ. एस. व्ही. पाटिल, डॉ. संजय भोसले, यशवंत कुलकर्णी, डी.बी. मुकने, दत्तात्रय गायकवाड बैठक में विविध मुद्दों पर अपने विचार पर चर्चा करने वाले है।
महाराष्ट्र के पुणे, सांगली, सतारा और कोल्हापुर जिलों में भारी बारिश ने कहर ढाया है और गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया। बाढ़ ने राज्य में कई हजार हेक्टेयर पर फसलों को नुकसान पहुंचाया है। अन्य फसलों की तरह, अत्यधिक जलभराव से गन्ने को भी नुकसान हुआ है। इसलिए ऐसी उम्मीद है की इसका असर राज्य में चीनी उत्पादन पर हो सकता है। इसको लेकर भी चर्चा होनी है।
चीनी मिल श्रमिक चाहते है वेतन में 40% बढ़ोतरी…
वेतन वृद्धि और अन्य सुविधाओं पर चर्चा करने के लिए एक त्रिपक्षीय समिति के गठन की मांग को लेकर महाराष्ट्र के चीनी क्षेत्र के श्रमिकों ने 28 अगस्त को राज्य चीनी आयुक्त के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने की धमकी दी थी। श्रमिकों का वेतन समझौता 31 मार्च, 2019 को समाप्त हो गया और तब से वे सरकार से एक त्रिपक्षीय समिति गठित करने के लिए कह रहे हैं। श्रमिकों ने समय-समय पर एक नई समिति के गठन के लिए सरकार को लिखा है, हालांकि, फाइल सीएम कार्यालय में लंबित है। सरकार का ध्यान खींचने के लिए श्रमिकों ने 28 अगस्त को आयुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने की धमकी दी है।
चीनी मिलें चाहती हैं बाढ़ प्रभावित गन्ना किसानों के लिए ऋण माफी…
महाराष्ट्र चीनी मिलर्स ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आग्रह किया है कि, कोल्हापुर, सांगली और सातारा क्षेत्रों में हाल ही में आई बाढ़ में एक हेक्टेयर (2.47 एकड़) से दो हेक्टेयर फसल खो चुके किसानों के लिए ऋण माफी का विस्तार किया जाए। मिलरों ने मौजूदा संकट को दूर करने के लिए गन्ने की पेराई के लिए प्रति टन 500 रुपये का एकमुश्त अनुदान भी मांगा है, क्योंकि मिलर्स उत्पादन लागत को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा, मिलरों ने उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) के भुगतान के लिए चीनी मिलों को केंद्र द्वारा दिए गए विभिन्न ऋणों के तहत लंबित धन जारी करने की मांग की है।
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