मुंबई : चीनी मंडी
महाराष्ट्र में चीनी मिलों द्वारा अभी भी 2018-19 के मौसम का उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) लगभग 589.59 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। महाराष्ट्र चीनी आयुक्त की नवीनतम पेराई रिपोर्ट के अनुसार, 195 मिलों ने सीजन के दौरान पेराई में हिस्सा लिया और 952.11 टन गन्ने का क्रशिंग करके रिकॉर्ड 107 लाख टन चीनी उत्पादन किया। 195 मिलों में से 129 मिलों ने एफआरपी भुगतान किया है, लेकिन 66 मिलों के पास अभी भी भुगतान बकाया है।
सीजन में कुल एफआरपी की राशि 23,207.28 करोड़ रुपये थी, जिसमें मिलर्स ने 15 अगस्त तक 22,645.26 करोड़ रुपये का बकाया चुकाया। शेष बकाया राशि अब 589.59 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट के अनुसार, 129 मिलों ने 100% एफआरपी भुगतान किया है। 49 मिलों ने 80-99%, 13 मिलों ने 60-79% और चार मिलों ने 49% से कम एफआरपी का भुगतान किया है। चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने 76 मिलों को राजस्व वसूली संहिता (आरआरसी) आदेश जारी किए थे, जो किसानों को मूल एफआरपी का भुगतान करने में विफल रहे थे।
बार बार निर्देश देने के बावजूद कई सारे चीनी मिलें गन्ना बकाया चुकाने में विफल रहती है, जिसको लेकर न सिर्फ किसानों में आक्रोश रहता है बल्कि सरकार और चीनी आयुक्तालय पर भी सवाल उठाये जाते है। जिसके कारण अब महाराष्ट्र चीनी आयुक्तालय गन्ना बकाया मुद्दे को लेकर अगले सीजन से सख्त रहने वाली है। अगले सीजन से चीनी मिले अगर गन्ना किसानों को भुगतान देने में विफल रहती है तो उनपर 14 वें दिन पर ही कार्यवाही की जायेगी।
कल सरकार द्वारा चीनी निर्यात सब्सिडी की घोसणा के बाद अब चीनी मिलों को गन्ना बकाया भुगतान चुकाने में मदद होगी।
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