मुंबई : चीनी मंडी
बकाया भुगतान की समस्या से परेशान किसानों को राहत देने के लिए राज्य सरकार भी कई अहम कदम उठा रही है। चीनी मिलों को क्रशिंग लायसन्स के लिए सरकार द्वारा ‘एफआरपी’ का नियम लागू किया गया है। इस नये नियम से बकाया भुगतान की समस्या हल होने की संभावना जताई जा रही है। इसके लिए चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड ने काफ़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कानून के प्रावधानों के आधार पर चीनी आयुक्त द्वारा हर सीजन में क्रशिंग लायसन्स दिया जाता है। पेराई लाइसेंस के बिना कोई भी मिल सीजन शुरू नही कर सकती है। अनुबंध पर हस्ताक्षर के बिना किसी भी मिल को चीनी सीजन शुरूकरने की अनुमति नही होती है। “गन्ना अधिनियम” के प्रावधानों में पहले ‘एफआरपी’ का जिक्र नही था, लेकिन अब गायकवाड ने बकाया भुगतान की समस्या को देखते हुए ‘एफआरपी’ की शर्त भी शामिल की है। उसके लिए उन्होंने ‘गन्ना नियंत्रण आदेश १९६६’ में चीनी आयुक्त को कुछ अधिकार दिए गये है। गायकवाड ने इसी अधिकार का आधार लेकर ‘एफआरपी’ की शर्त शामिल कर दी है, अगर कोई मिल एफआरपी भुगतान समय पर नही करती तो नये नियम के तहत उस मिल पर कार्रवाई करना चीनी आयुक कार्यालय को आसान होगा।
महाराष्ट्र में चीनी मिलों द्वारा अभी भी 2018-19 के मौसम का लगभग 589.59 करोड़ रुपये से ज्यादा एफआरपी भुगतान बकाया है। महाराष्ट्र चीनी आयुक्त की नवीनतम पेराई रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 195 मिलों ने सीजन के दौरान पेराई में हिस्सा लिया और 952.11 टन गन्ने का क्रशिंग करके रिकॉर्ड 107 लाख टन चीनी उत्पादन किया।
सीजन में कुल एफआरपी की राशि 23,207.28 करोड़ रुपये थी, जिसमें मिलर्स ने 15 अगस्त तक 22,645.26 करोड़ रुपये का बकाया चुकाया। शेष बकाया राशि अब 589.59 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट के अनुसार, 129 मिलों ने 100% एफआरपी भुगतान किया है। 49 मिलों ने 80-99%, 13 मिलों ने 60-79% और चार मिलों ने 49% से कम एफआरपी का भुगतान किया है। लेकिन नये नियम से इसके आगे बकाया भुगतान की समस्या कम होने का दावा किया जा रहा है।
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