नई दिल्ली: चीनी मंडी
रेटिंग एजेंसी ICRA ने कहा कि, अक्टूबर से शुरू होने वाले 2019-20 के विपणन वर्ष में चीनी निर्यात का 60 लाख टन का उद्दिष्ट हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा। केंद्र सरकार ने 28 अगस्त को 6,268 करोड़ रुपये की चीनी निर्यात सब्सिडी योजना की घोषणा की, जिससे देश को 60 लाख टन चीनी निर्यात हासिल करने में मदद मिलने की उम्मीद है। लेकिन चीनी निर्यात लक्ष्य हासिल करने के रस्ते में वैश्विक कीमतों में दबाव रोड़ा बन सकता है।
ICRA का मानना है कि, वैश्विक कीमतों को देखा जाए तो निर्यात की तय मात्रा को प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन इस लक्ष्य की एक बड़ी उपलब्धि घरेलू अधिशेष के दबाव से कुछ राहत, घरेलू चीनी की कीमतों में तेजी और किसानों को समय पर गन्ना भुगतान प्रदान करने में मदद होगी। भारत द्वारा चालू वर्ष 2018-19 और पिछले वर्ष के दौरान रिकॉर्ड चीनी उत्पादन के कारण अधिशेष चीनी का सामना करना पड़ रहा है। गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने में भी कई सारी चीनी मिलें विफ़ल रही है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत कई चीनी उत्पादक राज्यों में किसानों का बकाया प्रमुख समस्या बनी है।
अधिशेष स्टॉक से निपटना केंद्र सरकार और चीनी उद्योग का प्रमुख लक्ष्य है, जिसके लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश में जुटी है। देश चीनी अधिशेष से जूझ रहा है और इसलिए सरकार का मकसद चीनी निर्यात को बढ़ावा देना है। हालही में सरकार ने चीनी अधिशेष को कम करने के मकसद से चीनी के बफर स्टॉक के निर्माण को मंजूरी थी। सरकार ने चीनी उद्योग को राहत देने के लिए हर मुमकिन कोशिश की है, जिसमे सॉफ्ट लोन, निर्यात सब्सिडी और चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में वृद्धि शामिल है।
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