मुंबई / पुणे : चीनी मंडी
गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए, महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया है कि, उन्ही चीनी मिलों को नए सत्र के लिए पेराई लाइसेंस जारी किए जाएंगे, जो 14 दिनों के भीतर किसानों के उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) का भुगतान करने के लिए सहमत होगी।
पेराई लाइसेंस के बिना कोई भी मिल सीजन शुरू नही कर सकती है। अनुबंध पर हस्ताक्षर के बिना किसी भी मिल को चीनी सीजन में भाग लेने की अनुमति नही होती है। 2018-19 सीजन का 589.59 करोड़ अभी भी बकाया है।
महाराष्ट्र चीनी आयुक्त की पेराई रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 195 मिलों ने सीजन के दौरान पेराई में हिस्सा लिया और 952.11 टन गन्ने का क्रशिंग करके रिकॉर्ड 107 लाख टन चीनी उत्पादन किया। 195 मिलों में से 129 मिलों ने एफआरपी भुगतान किया है, लेकिन 66 मिलों के पास अभी भी भुगतान बकाया है। सीजन में कुल एफआरपी की राशि 23,207.28 करोड़ रुपये थी, जिसमें मिलर्स ने 15 अगस्त तक 22,645.26 करोड़ रुपये का बकाया चुकाया। शेष बकाया राशि अब 589.59 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट के अनुसार, 129 मिलों ने 100% एफआरपी भुगतान को मंजूरी दे दी है। 49 मिलों ने 80-99%, 13 मिलों ने 60-79% और चार मिलों ने 49% से कम एफआरपी का भुगतान किया है। लेकिन नये नियम से इसके आगे बकाया भुगतान की समस्या कम होने का दावा किया जा रहा है।
इस बीच, चीनी आयुक्त कार्यालय ने क्रशिंग लाइसेंस जारी करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी है। चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने कहा कि सातारा, सांगली और कोल्हापुर में हाल की बाढ़ ने मिलों के प्रबंधन को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है और उन्हें पेराई के लिए तैयार होने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है।
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