चिनी का अतिरिक्त उत्पादन और दुनिया में गिरते दामों के वजह से देश का चिनी उद्योग गेहरे संकट
में है। इस से किसनो कि हालत खस्ता हो गई है। इसाका सिधा असर गन्ना किसानों पर हो रहा है।
किसानों कि हालत गंभीर है, अगर येसी हि हालत बरकरार रही तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते है। चिनी
निर्यात केलिए केंद्र सरकारने राहत पॅकेज घोषित किया क्यूंकि घरेलू बाजार में चिनी का कोटा कम होसके।
लेकिन चिनी मिलों ने इस प्रस्ताव को खारिज किया है, इसका सीधा असर चिनी मिलों पर होगा और
इससे चिनी मिलोंको को कोई बचा नहीं सकता, येसा इस क्षेत्र के जानकारों का मानना है।
जब चिनी का बहुत बड़ी मात्रा मैं निर्यात होगा तभी देशमें चिनी के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है और
सरकार कि औरसे निर्यात केलिये मिलने वाली साहयक राशी चिनी मिलोंको को मिल सकती है। इस तरह
चिनी मिलोंको दुगना लाभ हो सकता है। गत मौसम में महाराष्ट्र के लिये 6,48,000 टन कोटा निर्यात के
लिये निर्धारित किया गया था। लेकिन अभी तक सिर्फ 1.5 लाख टन चिनी निर्यात हो चुकी है।इससे केंद्र
सरकार ने चिनी उद्योग केलिए घोषित की हुवी सहायता मिलना मुश्किल है। चिनी उद्योग सुव्यवस्था
निर्माण करने के लिये और चिनी के दाम में इजाफा होने केलिये चिनी बिक्री का कोटा तै किया है। इसके
मुताबिक महाराष्ट्र में कार्यरत चिनी मिलोंका कोटा 8,14,273 टन कोटा निर्धारित किया है। इसमें
बहुतांशक चिनी मिले नाकाम रही है और केवल चार चिनी मिले तय लक्षसे कुछ अधिक मात्रा में चिनी
बेचने में कामयाब रही है। इससे चिनी उद्योग में असंतुलन और अस्थिरता बढ़ने कि आशंका जताई जा
रही है। ओर चिनी मिले समस्या के और गहरे संकट में फस सकती है।