सांगली: चीनी मंडी
जिले में गन्न फसल क्षेत्र लगभग 80 से 90 हजार हेक्टेयर है और औसत गन्ना उत्पादन 80 से 85 लाख टन होता है। इसमें 9 से 10 लाख टन चीनी का उत्पादन होता है। हालांकि, इस साल कृष्णा और वारणा नदी में भारी बाढ़ के कारण, गन्ने का उत्पादन लगभग 20 लाख टन तक घटने की संभावना है। कम गन्ना उत्पादन चीनी मिलों के पेराई के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
जिले में कुल 16 चीनी मिलें हैं, जिनमें से 14 मिलें हर साल गन्ना पेराई सीजन में हिस्सा लेती है। जिले की औसत चीनी रिकवरी 11.50 प्रतिशत है। जिले में गन्ना क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में हर साल तीन से चार हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप चीनी का उत्पादन भी साल दर साल बढ़ रहा है। अगस्त में आए बाढ के कारण जिले में गन्ना फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। एक सप्ताह तक गन्ना फसल बाढ के पानी में डुबी हुई थी। कई जगह पर तो गन्ना फसल पुरी तरह से बर्बाद हो चुकी है, जिसके कारण गन्ना किसानों को भी भारी वित्तीय झटका लगा है।
मिरज तालुका का पश्चिमी भाग, वालवा, पलूस और शिराला तालुका को मुख्य रूप से गन्ना उत्पादक तालुकों के रूप में जाना जाता है। लेकिन इस साल सभी तालुका में गन्ना भारी बाढ़ की चपेट में आ गया है। सरकार द्वारा मुआवजा, फसल ऋणमाफी की घोषणा की गई है, लेकिन इस सहायता के बावजूद किसानों का नुकसान पुरी तरह से पुरा नही होगा।
गन्ने की नई खेती भी खतरे में …
किसानों ने अगले साल की पेराई के लिए बड़ी मात्रा में गन्ना बुआई की थी, लेकिन वह क्षेत्र भी बाढ़ से काफी गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। जिसके कारण 2020-2021 के पेराई सीजन के लिए भी मिलों को गन्ना फसल की कमी हो सकती है।
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