लखनऊ : चीनीमंडी
केंद्र और राज्य सरकार के कई कोशिशों के बावजूद उत्तर प्रदेश में कई सारी चीनी मिलें किसानों का गन्ना बकाया भुगतान करने में नाकाम रही है। नया सीजन शुरू होने के कगार पर है, लेकिन अभी भी मिलों के पास तकरीबन 6,043 करोड़ रुपया बकाया है। गन्ना बकाया भुगतान से किसानों में मिलों के साथ साथ राज्य सरकार के खिलाफ़ काफ़ी आक्रोश है, कई जिलों में तो किसान संघठनों द्वारा आन्दोलन शुरू किया गया है। बकाया और ब्याज की मांग को लेकर किसान बिजनौर कलक्ट्रेट में 13 दिन से धरना दिए हुए हैं। प्रदेश के विपक्षी दल भी गन्ना बकाया मुद्दा भुनाने की कोशिश कर रहे है।
2018 -2019 पेराई सीजन में चीनी मिलों ने तकरीबन 33,050 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है, जिसमें से 14 सितंबर तक 27,004 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। अभी भी राज्य की 94 निजी चीनी मिलों के पास किसानों का 5,626 करोड़, सहकारी चीनी मिलों पर 383 करोड़ और निगम की चीनी मिलों पर 33.86 करोड़ रुपये अभी भी बकाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 अगस्त तक बकाया भुगतान का आश्वासन दिया था, लेकिन अब 16 सितंबर तक भुगतान नही हुआ है। नियमों के अनुसार चीनी मिलों को गन्ना खरीदने के 14 दिनों के अंदर भुगतान करना होता है, भुगतान नहीं होने पर चीनी मिलों को ब्याज देना होगा, लेकिन मिलें न तो बकाया का भुगतान कर रही हैं, ना ही ब्याज दे रही है। मिलों के ऐसे रवैय्ये पर राज्य सरकार द्वारा मिलों के खिलाफ़ ठोस एक्शन लेने की मांग किसानों द्वारा की जा रही है।
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