नई दिल्ली : चीनी मंडी
इंडोनेशिया भारतीय कच्चे चीनी के आयात को सक्षम करने के लिए अपने गुणवत्ता मानक नियम में बदलाव कर सकता है। कोजेंसिस के मुताबिक, भारतीय चीनी के लिए इंडोनेशिया अपने आयात गुणवत्ता मानदंडों को कुछ हद तक ढील दे सकता है।
इंडोनेशिया आंतरराष्ट्रीय नियमों के आधार पर चीनी आयात करता है, जिसमे चीनी में ICUMSA लेवल 1,200 या उससे अधिक होती है। इंडोनेशिया भारतीय कच्चे चीनी आयात के लिए चीनी में ICUMSA लेवल 600 से नीचे तक कटौती करने की योजना बना रहा है, ताकि उनके गुणवत्ता मानदंडों को पूरा किया जा सके। ICUMSA का स्तर जितना कम होगा, चीनी की गुणवत्ता उतनी ही बेहतर होगी।
इंडोनेशिया केवल कच्ची चीनी का आयात करता है, जिसमें आम तौर पर ICUMSA का स्तर बहुत अधिक होता है, और यहां तक कि भारतीय कच्ची चीनी की सबसे खराब गुणवत्ता इसके आयात मानदंडों को पूरा नहीं करती है। इंडोनेशिया ज्यादातर थाईलैंड से चीनी आयात करता है जिसमें ICUMSA का स्तर उच्च होता है। भारतीय सफेद रिफाइंड चीनी, जिसे विश्व में सबसे अच्छा माना जाता है, उसका ICUMSA स्तर 45 है, कम गुणवत्ता वाली सफेद चीनी का ICUMSA स्तर 150-200 है, और कच्ची चीनी का ICUMSA स्तर 400-800 है।
इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और पाम तेल का निर्यातक है, जबकि भारत, दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक में से एक है। इससे पहले इंडोनेशिया ने भारत से अनुरोध किया था की रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क उतना ही लगना चाहिए जितना शुल्क मलेशिया के रिफाइंड पाम तेल पर लगाया जा रहा है। इंडोनेशिया के व्यापार मंत्रालय ने इसके बदले में भारतीय चीनी के आयात की अनुमति देने का ऑफर दिया था।
देश चीनी अधिशेष से जूझ रहा है और इसलिए सरकार का मकसद चीनी निर्यात को बढ़ावा देना है। इसके चलते केंद्र सरकार ने 28 अगस्त को 60 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए सब्सिडी देने का फैसला किया था। इसपर 6268 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। कैबिनेट ने चीनी सीजन 2019-20 के लिए चीनी मिलों को निर्यात करने के लिए 10,448 रुपए प्रति टन के हिसाब से सब्सिडी देने को मंजूरी दी थी। इंडोनेशिया के लिए शिपमेंट से भारत में चीनी की कमी को कम करने में मदद मिलेगी।