पुणे /सोलापुर: चीनी मंडी
महाराष्ट्र में 56 चीनी मिलें एफआरपी भुगतान करने में विफ़ल रही है, अब तक मिलों के पास तकरीबन 397 करोड़ 96 लाख का भुगतान अभी भी बकाया है। केवल सोलापुर जिले में ही 14 मिलों ने 151 करोड़ 50 लाख बकाया भुगतान नही किया है। बकाया भुगतान को लेकर किसानों में काफ़ी आक्रोश है। सोलापुर में आदिनाथ 2.14 करोड़, भीमा टाकली सिकंदर 13. 30 करोड़, सिधेश्वर 42.3२ करोड़, सहकार महर्षि शंकरराव मोहिते 11.20 करोड़, श्री विठ्ठल गुरसाले 5.79 करोड़, विठ्ठलराव शिंदे 13.43 करोड़, श्री मकाइ करमाला 7.76 करोड़, संत कुर्मदास 4.51 करोड़, लोकनेते बाबुराव अन्ना पाटिल 7.74 करोड़, जकराया शुगर 4.98 करोड़, युटोपियन शुगर 2.56 करोड़, गोकुल शुगर 11.98 करोड़, मातोश्री लक्ष्मी शुगर 12.67 करोड़, सीताराम महाराज खर्दी 10.58 करोड़ का बकाया है।
महाराष्ट्र चीनी आयुक्त की पेराई रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 195 मिलों ने सीजन के दौरान पेराई में हिस्सा लिया और 952.11 टन गन्ने का क्रशिंग करके रिकॉर्ड 107 लाख टन चीनी उत्पादन किया। 195 मिलों में से 139 मिलों ने एफआरपी भुगतान किया है, लेकिन 56 मिलों के पास अभी भी भुगतान बकाया है।रिपोर्ट के अनुसार, 129 मिलों ने 100% एफआरपी भुगतान को मंजूरी दे दी है।
गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए, महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया है कि, उन्ही चीनी मिलों को नए सत्र के लिए पेराई लाइसेंस जारी किए जाएंगे, जो 14 दिनों के भीतर किसानों के उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) का भुगतान करने के लिए राजी होगी। अगला सीजन कगार पर लेकिन अभी तक पूरा FRP नहीं मिलने से गन्ना किसान नाराज़ है।
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