नई दिल्ली : चीनी मंडी
बार बार बिनती करने, आवेदन देने और आंदोलन छेड़ने के बावजूद देश की कई सारी मिलें गन्ना बकाया भुगतान में विफ़ल रही है। दीवाली कुछ ही दिनों में आनेवाली है, लेकिन उसके बावजूद किसान बकाया गन्ना मूल्य पाने के लिए तरस रहे हैं। मिलों पर किसानों के अभी भी करोड़ों रुपये बकाया हैं। दीवाली से पहले पूरा गन्ना मूल्य भुगतान होने की संभावना काफ़ी कम लग रही है। करवा चौथ, अहोई, धनतेरस, दीवाली, भैया दूज आदि त्योहार नजदीक आ गए हैं और नया पेराई सत्र के शुरू होने में भी एक माह से भी कम समय है। इसके बावजूद किसान बकाया गन्ना मूल्य भुगतान पाने के लिए तरस रहे हैं।
केंद्र और राज्य सरकार के हर मुमकिन कोशिशों के बावजूद उत्तर प्रदेश में अभी भी 4,700 करोड़ रुपये से अधिक गन्ना बकाया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना भुगतान में विफ़ल रही चीनी मिलों को खिलाफ कार्यवाही कर रही है, लेकिन बकाया बहुत धीमी गति से चुकाया जा रहा है।
महाराष्ट्र की चीनी मिलों के पास 397 करोड़ रुपये बकाया…
2019-20 का नया पेराई सत्र शुरू होने के कगार पर है और महाराष्ट्र में किसानों का लगभग 397 करोड़ रुपये गन्ना भुगतान बकाया है। महाराष्ट्र चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पिछले सीजन के लिए फेयर एंड रेमुनरेटिव प्राइस (एफआरपी) बकाया लगभग 1.71% है। कुल देय एफआरपी 23,293.82 करोड़ रुपये थी, जिसमें से मिलों ने अभी तक 22,915.62 रुपये (98.38%) का भुगतान किया है।
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