मुंबई : चीनी मंडी
महाराष्ट्र में चल रहें विधानसभा चुनावी जंग में लगभग 100 चीनी मिलर्स अपनी किस्मत आजमा रहे है। इनमें सबसे ज्यादा उम्मीदवार रांकापा और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहें है। चीनी उद्योग जो सहकारिता की नीव पर टिका है, और फिर एक बार राजनीती का केंद्र बिंदु बन गया है। भाजपा जो विशेष रूप से चीनी उद्योग से दूर रहता था, इस चुनाव में भाजपा ने भी लगभग 28 मिलर्स को टिकट दिया है। रांकापा ने सबसे ज्यादा लगभग 30 मिलर्स को मैदान में उतारा है। मिलर्स को टिकट बाटने में शिवसेना और कांग्रेस भी पीछें नही है, शिवसेना ने 15 और कांग्रेस ने 12 चीनी मिलर्स पर दांव लगाया है। लगभग 11 मिलर्स निर्दलीय खड़े है, और वो भी जीत का दावा कर रहें है।
राहुरी, कागल, माजलगाव, करवीर, कोपरगाव, करमाला, पंढरपूर, वाई, पाटन और इस्लामपुर इन सीटों पर चीनी मिलर्स आपस में भीड़ रहें है। गन्ना बहुल पश्चिमी महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 54 चीनी मिलर्स अलग-अलग राजकीय दलों से चुनाव लड़ रहे है। पाणी की किल्लत से परेशान मराठवाडा में भी 22 चीनी मिलर्स अपनी राजनीती चमकाने के लिए जोरो शोरों से चुनाव लड़ रहे है। महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण, राधाकृष्ण विखे – पाटिल, बालासाहेब थोरात, अजित पवार, पंकजा मुंढे, हसन मुश्रीफ़, मदनराव भोसले, अमित देशमुख, अतुल भोसले, विश्वजीत कदम, शंभूराज देसाई, सुभाष देशमुख, संदीपन भुमरे आदि दिग्गज चीनी मिलर्स के चुनावी क्षेत्रों में ‘हाय व्होल्टेज’ मुकाबला होने की संभावना है।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 21 अक्टूबर को होंगे और इसके नतीजे 24 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
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