कानपूर: कानपुर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में गन्ना और चीनी उत्पादन की नई नई तकनीक इजाद की जाती है, अब इस संस्थान में अब आधुनिक तकनीक से रिफाइंड चीनी बनाने वाली देश की पहली इकाई का निर्माण शुरू हो गया है। इकाई की स्थापना में पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा गया है। बिजली की बचत और पर्यावरण का खयाल पर इसमें काफी जोर दिया गया है। इस इकाई में रोजाना दस टन चीनी का उत्पादन किया जाएगा। प्रतिदिन दस फीसद बिजली की बचत इस इकाइ की विशेषत है। दिल्ली स्थित केमिकल सिस्टम्स टेक्नोलॉजी यह रिफाइनरी स्थापित कर रहा है। इस इकाई से जनवरी 2020 के अंत तक उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस इकाई में आयन एक्सचेंज रेजिंस व डीप बेड फिल्टर एवं एक्टिव कार्बन और मेंब्रेन फिल्ट्रेशन इन दो तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। खासकर इन दोनों तकनीकों का एक साथ इस्तेमाल अभी तक देश की किसी भी रिफाइनरी में नहीं किया गया है। ढाई करोड़ लागत वाले इस शुगर रिफाइनरी में आधुनिक प्रोसेसिंग तकनीक व उच्च कोटि के प्रोसेस उपकरणे लगाए जा रहे है। चीनी बनाने के पहले चरण में गन्ने के रस से कच्ची चीनी का उत्पादन किया जाएगा। दूसरे चरण में उसे शोधित कर रिफाइंड शुगर में बदला जाएगा। बाद में उसको रंगहीन व क्रिस्टलीकरण करके रिफाइंड बनाई जाएगी। देश की पहली ‘इको -फ्रेंडली’ चीनी इकाई शुरू होने से चीनी उद्योग में बदलावों का दौर और गतिमान होने की अपेक्षा की जा रही है।
एनएसआइ निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने कहा है की आम रिफाइनरी की अपेक्षा यह करीब दस फीसद बिजली बचाएगी। आम रिफाइनरी में प्रति टन 30 किलोवाट बिजली खर्च होती है जबकि इस इकाई में 27 किलोवाट बिजली का इस्तेमाल होगा।
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