नई दिल्ली: डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने वाले के लिए वित्त मंत्रालय ने 50 करोड़ से अधिक के वार्षिक कारोबार वाले बिजनेस हाउसेस को 1 नवंबर से अपने ग्राहकों को अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक मोड ऑफ पेमेंट का इस्तेमाल करना होगा। इसके अलावा कोई शुल्क या मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर), जो बैंक भुगतान प्रणाली और बैंक वाणिज्यिक लेनदेन पर लगाते हैं, – ग्राहकों या व्यापारियों पर नहीं लगाया जाएगा।
वित्त मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बैंकों को भुगतान प्रणाली प्रदाताओं से एक आवेदन मंगाया है, जिसमें कहा गया हो कि वे नई भुगतान प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हैं।
डिजिटल मोड के माध्यम से किया गया भुगतान मध्यम और बड़े आकार के बिजनेसेस के लेनदेन को अधिक पारदर्शी बनाएगा और इससे टैक्स चोरी को रोका जा सकेगा।
डिजिटल भुगतान को तेजी से अपनाने के लिए केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि 50 करोड़ से अधिक के वार्षिक कारोबार वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को ग्राहकों को कम लागत वाले डिजिटल मोड्स भुगतान की पेशकश करनी होगी और ग्राहकों और व्यापारियों पर शुल्क या एमडीआर नहीं लगाना होगा।
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