नई दिल्ली: भारत में एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एथनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद, भारत में चीनी मिलें एथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए निवेश करने के लिए तैयार दिख रही हैं। केन्द्रीय पेट्रोलियम और गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को भारत में एथेनॉल उद्योग में अधिक निवेश की उम्मीद हैं। आज नई दिल्ली में अमरीका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच के दूसरे वार्षिक इंडिया लीडरशिप सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, जहा उन्होंने एथेनॉल के भविष्य पर चर्चा की।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण की मात्रा को धीरे धीरे बढ़ाया जा रहा है। साल 2015 में जहां यहां मात्रा एक प्रतिशत थी वहीं अब इसे बढ़ाकर 6 प्रतिशत तक ले आया गया है। भविष्य में इसमें और बढ़ोतरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार देश में उपलब्ध 600 मेट्रिक टन गैर-जीवाश्म बॉयोमास का भरपूर इस्तेमाल जैव-ईंधन के लिए करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि देश में एथेनॉल बनाने के संयत्र लगान के लिए 10 अरब डॉलर का निवेश करना होगा। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि अमरीका अपने प्रौद्योगिकी नवाचार और पूंजी संसाधनों का भारत में निवेश कर देश की जैव-ईंधन क्रांति में भागीदार बन सकता है।
देश में चीनी अधिशेष से निपटने के लिए सरकार ने मिलों को चीनी एथेनॉल में परिवर्तित करने की अनुमति दी है। हालही में केंद्र सरकार ने बी- हैवी मोलासेस वाले एथेनॉल की कीमतें 52.43 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 54.27 रुपये प्रति लीटर कर दी हैं और वही दूसरी ओर सी-हैवी मोलासेस वाले एथेनॉल की कीमत 43.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 43.75 रुपये लीटर कर दी हैं। गन्ने के रस, चीनी, चीनी सीरप से सीधे बनने वाले एथेनॉल का भाव 59.48 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है।
एथेनॉल की दाम में वृद्धि से चीनी मिलों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। एथेनॉल उत्पादन से चीनी अधिशेष को कम करने में भी मदद मिलेगी। केंद्र सरकार का 2030 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित करने का लक्ष्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि एथेनॉल का उत्पादन चीनी मिलों को वित्तीय स्थिति में सुधार करने और गन्ना बकाया को दूर करने में मदद करेगा
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