28 अक्टूबर, देशभर में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस त्यौंहार पर एक और जहाँ पूरा देश दीयों की रोशनी से जगमग होता है वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जिनकी ज़िन्दगी में दीपावली के दिन भी अंधेरा रहता है। ये वो लोग है जिनका ना घर है ना ठिकाना। खुले आसमान में सोने वाले ऐसे लोगों को होली-दिवाली सब त्योंहार समान दिनों की तरह ही लगते है। तक़रीबन हर शहर ऐसे लोग मिल जाएँगे जो खुले असमान में सड़क पर ही अपनी रातें गुज़ारते है। सड़क पर गुजर बसर कर रहे ऐसे ही बेसहारा और लाचार लोगों के दिलों में दीपावली की रौशनी बन कर आए है एक चीनी उद्यमी नवाब रज्जा। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में रह रहे नवाब खान हर बार दीपावली अपने मित्रों के साथ मनाते है लेकिन इस बार उन्होंने सड़क पर रह रहे ग़रीबों के संग दीपावली मनाने की ठानी। दर असल नवाब रज्जा की होशंगाबाद में महाकौशल सुगर मिल के नाम से इंडस्ट्री है। वहाँ से वो पिछले सप्ताह अपने घर आ रहे थे तो रात्रि में सड़क पर खुले आसमान में सो रहे ग़रीबों तो देखकर उनका मन पसीजा तब उनको लगा कि क़्यों ना इस बार फुटपाथ पर दीपावली मानकर इनके दिलों में भी ख़ुशियों के दिए जलाएँ। फ़िर क्या था नवाब भाई ने अपने सलाहकार इस्लाउद्दीन रिज़वी को सारी व्यवस्था करने के लिए कहा। दीपावली के दिन शाम को नवाब रज़्ज़ा अपने बेटे सफ़्फी रज्जा को लेकर सलाहकार इस्लाउद्दीन के साथ शहर में निकल पड़े। जहाँ भी उन्हें फुटपाथ पर बैठे लोग दिखे उन्हें मिठाई का डिब्बा, खाने का पैकेट एवं एक किलो चीनी व एक किलो चावल और एक कम्बल भेंट कर उन्हें दीपावली की शुभकामनाएँ दी।
न्यू मार्केट में नवाब रज्जा जब ग़रीबों को फुटपाथ पर दीपावली के गिफ़्ट बाँट रहे थे तो उनके इस सेवाभाव को देखकर सडक पर आते जाते लोग उन्हे दुआ दे रहे थे। किसी उन्हे फ़रिश्ता कह कर तारीफ की तो किसी ने अल्लाह का नेक बंदा क़हकर उनकी सलामती की दुआ की। नवाब रज्जा से दीपावली तौहफा लेने वाले एक बुजुर्ग ने कहा कि भगवान आपको लम्बी उम्र दे। मेरे अपनों ने तो मुझे ठुकरा दिया लेकिन आज आपने साबित कर दिया कि इन्सानियत अभी भी ज़िन्दा है। खून के रिश्तों से ज़्यादा मानवीय रिश्तों का मोल है। इन्सानियत के सरोकारों की सच्ची मिशाल पेश कर रहे नवाब रज्जा ने इस बुजुर्ग के पैर छुए और नम आँखों से आगे बढ़ गए।
हमीदिया में सड़क पर बैठी एक बुजुर्ग मां ने कहा कि बेटा आप कहाँ से आए है भगवान आपको लम्बी उम्र दे। आजतक तो किसी ने नहीं पूछा। हम लोगों के लिए तो हर दिन इसी तरह निकल जाता है। भीख माँगकर पेट भरती हूँ। आपने आकर मुझे पूछ लिया तो इसी में मेरी दीपावली शुभ हो गयी।
नवाब रज्जा ने छोटा तालाब, बड़ा तालाब, न्यू मार्केट और स्टेशन रोड पर तक़रीबन 200 लोगों को खाने के साथ अन्य सामग्री भेंट की। इस दौरान कुछ लोगों ने नवाब रज्जा से प्रेरणा लेकर फुटपाथ पर बैठे गरीबों को पटाखे दिए लेकिन पर्यावरण का हवाला देते हुए नवाब रज्जा ने कहा कि बजाय इनके आप इन्हें खाने और पहनने का सामान देंगे तो ज़्यादा अच्छा होगा। इस पर वहाँ मौजूद लोगों ने भी हाँ भरी और पटाखे न जलाने की बात पर सहमति जताई।
मीडिया से बात करते हुए नवाब रज्जा के सलाहकार इस्लाउद्दीन रिज़वी ने कहा कि हमारे भैया सभी धर्मों का सम्मान करते है और अक्सर हर पर्व पर ज़रूरतमंद ग़रीबों की किसी न किसी तरह मदद करते रहते है। भैया ने इस बार दीपावली ग़रीबों के संग मनाने की सोची तो हमें भी अच्छा लगा। रिज़वी ने कहा कि हमारे भैया मीडिया की सुर्ख़ियों से दूर ही रहते है। वो ख़ामोश रहकर समाज सेवा करने में यक़ीन रखते है। हमारी होशंगाबाद में सुगर मिल है। वहाँ भी हम लोग त्योंहार के मौक़ों पर एवं नए साल के अवसर पर ज़रूरतमंदों को आर्थिक मदद देने का काम करते है।
रिज़वी ने कहा कि भैया के बेटे भी चीनी मिल में काम देखते है। भैया उनको भी सामाजिक कामों में हमेशा साथ रखते है। ताकि वो भी दीन दुखियारों के दर्द को क़रीब से समझ सके। आज भी दीपावली मनाने के लिए भैया अपने बेटे सफ़्फी रज्जा को साथ लेकर आए थे। भैया का मानना है कि जब तक हम भूखे को खाना नहीं देंगे तब तक त्यौंहार और पर्व मनाने का कोई औचित्य नहीं है।
रिज़वी ने कहा कि भैया की सोच सबका साथ और सबका विकास की है। इसी को ध्यान में रखकर हम अपनी चीनी मिल में भी नॉन टैक्नीकल श्रेणी के कामों में गरीब ,विधवा, परित्यक्ता और दिव्यांग व्यक्तियों को जॉब में प्राथमिकता देते है।
दीपावली के बहाने ग़रीबों की सेवा कर उनकी ज़िन्दगी मे उम्मीदों के दीये जलाने की नवाब रज्जा की इस पहल से निश्चित तौर पर समाज में समरसता और सौहार्द का वातावरण बढ़ेगा वहीं अन्य चीनी मिल मालिकों में भी ग़रीब और ज़रूरतमंद व्यक्तियों की सेवा करने का भाव जगेगा।
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