पुणे : चीनी मंडी
पिछले कुछ वर्षों में महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलों की हालत बहुत खराब हुई है। चीनी उद्योग को आर्थिक समस्या से जूझना पड़ा है। राज्य साखर सहकारी संघ के अध्यक्ष जयप्रकाश दाडेंगावकर ने कहा की, राज्य में लगभग 70 चीनी मिलें काफ़ी मुश्किल में है। ग्रामीण इलाकों में रोजगार के कोई भी अवसर नही दिखाई देते है, चीनी उद्योग ने सरकार के बराबर रोजगार के अवसर निर्माण किये है। पिछलें पांच साल में मुश्किल दौर से गुजर रहे चीनी उद्योग को सरकार पहले जैसा सहारा नही दे रही है, जिससे राज्य के 100 में से 70 सहकारी मिलें संकट का सामना कर रही है।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल संघ और सोमेश्वर सहकारी चीनी मिल की तरफ से संगोष्टी का आयोजन किया गया था। उस अवसर पर दाडेंगावकर बोल रहे थे। उन्होंने कहा की, आयकर, वेतन योग और अन्य कई प्रतिबंधो के कारण सहकारी चीनी मिलों पर दबाव बढ़ रहा है। चीनी उत्पादन लागत प्रति क्विंटल 3400 रूपये है, और जबकि चीनी की कीमत 3100 रूपये प्रति है।”
मालेगाव चीनी मिल के अध्यक्ष रंजन तावरे ने कहा की, चीनी निर्यात सब्सिडी उसी सीजन में मिलनी चाहिए और अधिशेष चीनी कोटा अगले साल बेचने का फैसला भी मिलों के लिए घातक साबित हो रहा है।
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