लखनऊः प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा सहकारी गन्ना समितियों द्वारा गन्ना किसानों को उर्वरकों का वितरण स्वायल हेल्थ कार्ड की संस्तुति के अनुसार ही सुनिश्चित करने के निर्देश पारित किये गए है। उल्लेखनीय है की कि स्वथ्य एवं निरोग गन्ने के उत्पादन, गन्ने की उत्पादकता एवं चीनी परता को बढाने तथा भूमि की उर्वरा शक्ति को स्थायित्व प्रदान करने हेतु संतुलित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग का महत्वपूर्ण योगदान है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उपयोग मृदा स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति का आकलन करने के लिए किया जाता हैं। मृदा स्वास्थ्य कार्ड मृदा स्वास्थ्य संकेतक और संबंधित वर्णनात्मक शब्द प्रदर्शित करता है। संकेतक आमतौर पर किसानों के व्यावहारिक अनुभव और स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के ज्ञान पर आधारित होते हैं। कार्ड में मृदा स्वास्थ्य संकेतकों को सूचीबद्ध किया गया है जिनका तकनीकी या प्रयोगशाला उपकरणों की सहायता के बिना मूल्यांकन किया जा सकता है।
गन्ना आयुक्त द्वारा यह भी बताया गया कि मृदा परीक्षण कार्ड की संस्तुतियों के अनुरूप उर्वरकों के प्रयोग से लगभग 25 प्रतिशत उर्वरक कम प्रयोग होता है जिससे कृषक की आय में लगभग 4.3 प्रतिशत वृद्धि होती है। समुचित मात्रा में पोषक तत्वों के प्रयोग से मृदा की उर्वरता तथा प्राकृतिक गुण बने रहते हैं और लीचिंग कम होने के कारण मृदा और जल का प्रदूषण नहीं होता तथा पर्यावरण के संरक्षण में सहायता मिलती है।
मृदा परीक्षण के प्रयोग के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए गन्ना आयुक्त ने बताया कि इस उद्देश्य के लिये प्रदेश की सहकारी एवं निजी क्षेत्र की चीनी मिलों में स्थापित मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिये प्रतिदिन मृदा परीक्षण का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है और इस महत्वपूर्ण प्रकार्य में उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहॉपुर की शाहजहॉपुर इकाई की मृदा परीक्षण प्रयोगशाला को भी सम्बद्ध किया गया है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड की योजना के उद्देश्य की पूर्ति तथा गन्ना किसानों के बीच जागरूकता के लिये विभाग द्वारा क्षेत्रीय स्तर पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड एवं मृदा परीक्षण सम्बन्धी जानकारी के व्यापक प्रचार प्रसार हेतु निर्देष जारी किये गये है।
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