अयोध्या: आखिरखार 70 साल बाद अयोध्या विवाद पर फैसला आ ही गया। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जगह को रामलला का बताया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह तीन से चार महीने के भीतर सेंट्रल गवर्नमेंट ट्रस्ट की स्थापना के लिए योजना बनाए और विवादित स्थल को मंदिर निर्माण के लिए सौंप दे। अदालत ने यह भी कहा कि अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रदान करे।
यह निर्णय प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा दिया गया है, और जस्टिस एस ए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नाज़ेर शामिल थे।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और फैसले से पहले सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था।
इस बेहद संवेदनशील मामले को देखते हुए देशभर में पुलिस अलर्ट पर है।
सितंबर 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा राम लल्ला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच समान रूप से भूमि वितरित करने के बाद लिटिगेंट्स ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में 2:1 का फैसला सुनाया था।
मई, 2011 में शीर्ष अदालत द्वारा वितरण को रोक दिया गया था, हिंदुओं और मुसलमानों दोनों ने लगभग दस व्यापक बिंदुओं पर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी।
यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.