नई दिल्ली, 23 नवम्बर: केन्द्र सरकार ग्रामीण भारत को शहरी भारत की तरह तरक्की के अग्रिम पायदान पर ले जाने के लिए विकास आधारित नीतियाँ और योजनाएं बना रही है। शहरों की तर्ज़ पर गाँवों के विकास के लिए कृषि से जुड़े ग्रामीेण उद्योगों को प्रौत्साहन दिया जा रहा है। राजधानी दिल्ली में ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा के लिए आयोजित विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद मीडिया से बात करते हुए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि चीनी उद्योग ग्रामीण भारत की तरक्की का महत्वपूर्ण आर्थिक आधार है। गुड, खांडसारी और चीनी उद्योग देश के वो पुराने उद्योग है जो कृषि क्षेत्र से जुड़े भारत के 50 मिलियन से भी अधिक लोगों की आजीविका सुनिश्चित करके उन्हें काम के अवसर प्रदान कराते है।
मंत्री ने कहा कि विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हम समग्रता आधारित औद्योगिक क्रान्ति की ओर अग्रसर है। सरकार ग्रामीण आबादी को रोज़गार प्रदान कराने के लिए चीनी, जूट, और खाँड़सारी उद्योग जैसे क्षेत्रों पर ख़ास ध्यान देकर उन्हें प्रौसाहित कर रही है।
चीनी उद्योग को लाभकारी बनाने के लिए नए तरीक़ों पर काम किया जा रहा है। गन्ने की खेती के साथ गन्ना किसानों को फसल का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए नीतिगत निर्णय लिये जा रहे हैं। चीनी मिलों में युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लिए मिलों को वित्तीय मदद जा रही है।
चीनी मिलों की कमजोर होती आर्थिक स्थिति पर बात करते हुए मंत्री ने कहा कि कैबिनेट में इस विषय को रखा जाएगा। घाटे में चल रही मिलों की माली हालत को सुधारने के लिए राज्यों के साथ समीक्षा बैठक कर गन्ना किसान और चीनी मिलों के सर्वांगीण विकास के लिए स्थायी कारगर नीति बनायी जाएगी।
चीनी मिलों में पुरानी मशीनों के कारण उत्पादन क्षमता कम होने से नुकसान की ख़बरों पर बात करते हुए मंत्री ने कहा कि पुरानी चीनी मिलों में पैराई क्षमता कम होने के कारण किसानों को परेशानी की खबरें अक्सर सामने आती रहती है। सरकार का मक़सद है कि ग्रामीणलोगों की आर्थिक आजीविका सुनिश्चित करने के लिए गन्ने की उन्नत खेती को बढ़ावा दिया जाए और चीनी उद्योग को प्रोत्साहन देकर इसे आर्थिक मंदी से उबारा जाए।
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