चैन्नई, 25 नवम्बर: देश के अधिकांश राज्यों में चीनी मिलों में गन्ना पैराई सत्र शुरु हो गया हैं। उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत में भी 2019-20 सीजन का गन्ना पैराई सत्र रफ़्तार पकड़ने लगा है।
दक्षिण से प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य तमिलनाडु में जिन चीनी मिलों में पैराई काम शुरु हो गया है वहाँ किसान गन्ना लेकर आ रहे है। मिलों ने भी इस बार पिछले साल से सबक़ लेते हुए किसानों की सुविधा के अनुरूप काफ़ी व्यवस्था दुरुस्त कर ली है। हालाँकि यहाँ बीते साल की तुलना में इस बार पैराई सत्र कुछ देर से शुरु हुआ है लेकिन देर आए दुरुस्त आए की तर्ज़ पर अब चीनी मिलें रफ़्तार के साथ पैराई का काम कर रही हैं। नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक यहाँ की एक दर्जन चीनी मिलों में काम शुरु हो गया था। हालाँकि पैराई सत्र देरी से शुरु होने की वजह इस साल मानसून से असमान वितरण के साथ देरी से गन्ने की बुआई को माना जा रहा है। अब इन सब की वजह से गन्ना का रक़बा सिमित होने से मिलों में गन्ना भी कम आएगा जिसके परिणाम स्वरूप चीनी उत्पादन भी घटने और मिलों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की संभावना है।
दक्षिण भारत चीनी संघ के अध्यक्ष पेरी स्वामी ने कहा कि प्रदेश के पंड्याराजपुरम, कोयम्बटूर, रुगुलर, मलिकापुरम में गन्ना ज्यादा होता है जहां चीनी मिलें भी ज्यादा है। लेकिन इस बार यहां कई कारण रहे जहां बुआई कम होने के साथ गन्ना उत्पादन घटा वहीं कुछ किसानों को समय पर बकाया का पैसा नहीं मिलने से भी बुआई में देरी हुई। रही सही कसर कई जगह बेमौसम की बारिश और कई जगह सूखे ने कर दी। इन सभी परिस्थितियों की वजह से इस बार सीज़न में चीनी उत्पादन पिछले साल की तुलना में न केवल घटने की संभावना है बल्कि गन्ने की आपूर्ति कम होने से चीनी मिलों को आर्थिक नुक़सान होने की भी संभावना है।
चीनी बाज़ार विशेषज्ञों के अनुसार इस बार ये स्थिति न केवल तमिलनाडु में है बल्कि पूरे देश में भी चीनी उत्पादन प्रभावित होने से आसार है।
तमिलनाडु में चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की संभावना यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.