कोल्हापुर : चीनी मंडी
राज्य में गन्ना कटाई मौसम शुरू हो गया है, वहीं किसान संघठनों ने उपयुक्त दामों के लिए संघर्ष का रुख अपनाया है। किसान संगठनों में गन्ना मूल्य को लेकर काफी मतभिन्नता है, हर एक संघठन ने गन्ना मूल्य के लिए अपनी अलग अलग मांग रखी है। उन्होंने एफआरपी सहित अधिक पैसों की मांग शुरू कर दी हैं।दूसरी तरफ चीनी मिलें किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान के लिए पैसों के बंदोबस्त करने के दुविधा में है, कि आख़िरकार कैसे पैसा उपलब्ध कराया जाए। गन्ना मूल्य को लेकर किसान संघठन और चीनी मिलों के बीच संघर्ष तेज होने के आसार दिख रहे है।
हर साल, चीनी मिलों के बॉयलर अग्निप्रदिपन के साथ-साथ किसान संगठनों के आंदोलन की ज्योत भी प्रज्वलित होती हैं। इस साल बाढ़ की वजह से गन्ने की उपलब्धता कम हो गई है। चीनी सीजन उम्मीद के मुताबिक कम दिनों तक चलेगा, हालांकि इसके लिए चीनी मिलों को हर सीजन की तरह खर्चा करना होगा।
राज्य में सत्ता में आई नई गठबंधन की सरकार में कांग्रेस-एनसीपी, जो चीनी मिलर्स की पार्टी के रूप में जानी जाती है, सत्ता में शामिल हो गई है। कांग्रेस और एनसीपी पहले से ही मांग करती आ रही हैं कि राज्य सरकार को चीनी मिलों की वित्तीय समस्याओं को हल करने के लिए पहल करनी चाहिए। अब वही कांग्रेस-एनसीपी सत्ता में आ गई है, तो अब उन्हे ही इस समस्या का हल निकालना होगा। नये गठबंधन सरकार के सामने गन्ने के दामों की समस्या को हल करना पहली चुनौती बन गई है।
किसान संघठनों के बीच प्रतिस्पर्धा
किसान संगठनों ने गन्ना मूल्य को लेकर अपना दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। कोल्हापुर और सांगली जिलों में कुछ हिंसक विरोध प्रदर्शन भी हुए। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन ने प्रति टन एफआरपी के साथ 200 रूपये अतिरिक्त मूल्य की मांग की है। रघुनाथदादा पाटिल के किसान संघठन ने प्रति टन 4000 रुपये की मांग की है।
यह भी पढ़े: गन्ना मूल्य पर अनिश्चितता: चीनी मिलों पर फुट सकता है गन्ना किसानों का आक्रोश
यह भी पढ़े: किसानों को गन्ना औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर करने का आरोप
यह भी पढ़े: गन्ना किसानों के आंदोलन को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात
यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.