देश में किसानों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने किसानों के प्रॉफिट मार्जिन को बढ़ाने के लिए एक नया न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पेश किया।
गन्ना के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया था, हालांकि बैठक के दौरान प्रधान मंत्रीजी ने गन्ना किसानों को भी आश्वासन दिया कि अगले दो हफ्तों में, २०१८-१९ के चीनी मौसम के लिए गन्ना के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की घोषणा की जाएगी, जो २०१७-१८ की कीमत से अधिक होगी।
इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार किसी भी समय गन्ने की एफआरपी को बढ़ा सकती है और इससे चीनी की कीमतों पर सीधे असर पड़ेगा। यदि हम चीनी उद्योग के वर्तमान परिस्थिति को देखते हैं, तो चीनी एक ऐसी कमोडिटी है जो पूरी तरह से सरकार द्वारा नियंत्रित होती है।
सरकार एफआरपी का फैसला करती है, कितनी मात्रा में चीनी निर्यात की जानी है, बिक्री का मासिक कोटा भी तय किया जाता है जबकि चीनी की एमएसपी भी सरकार द्वारा ही तय की जाती है। यदि इन सभी निर्णयों को सरकार द्वारा लिया जाता है, तो यह सुनिश्चित करना भी उनकी ज़िम्मेदारी है कि मिलर्स को गन्ने की FRP देने के बाद चीनी को उचित मूल्य मिलना चाहिए। अगर FRP में सरकार बढ़ोतरी करती है तो चीनी के दाम बढ़ने तय है !