मुंबई: महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में स्थित चीनी मिलों को इस साल गन्ना कटाई मज़दूरों की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। राज्य में गन्ना सीजन की शुरुआत में चीनी मिलों में आनेवाले प्रवासी श्रमिकों की संख्या में इस साल भारी कमी देखी जा रही है, जिससे इन मिलों में गन्ने की पेराई बढ़ सकती है।
बता दें कि राज्य में गन्ना सीजन की शुरुआत मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र से आनेवाले लगभग 7-8 लाख प्रवासी मजदूरों से होती है। मजदूरों को ठेकेदारों के माध्यम से मिलों में काम पर लगाया जाता है। ये मजदूर खुद भी खेतों के मालिक होते हैं तथा अपने खेतों में चना, गेहूं आदि रबी फसलों की बुवाई खत्म करने के बाद अतिरिक्त आमदनी के लिए मिलों में काम करने जाते हैं। लेकिन खबरों के मुताबिक, इस साल इन मजदूरों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत तक की कमी बतायी जा रही है। बताते हैं कि अनेक प्रवासी मजदूरों ने इस बार अपनी फसलों की देखभाल करने का फैसला किया है। श्रम के इस अभूतपूर्व संकट ने राज्यभर के चीनी मिलों को अपनी चपेट में ले लिया है।
सांगली में एक चीनी मिल के प्रबंध निदेशक ने बताया कि उनकी मिल में इस साल फसल काटनेवाले मजदूरों की संख्या में लगभग 30-32 प्रतिशत की कमी आयी है। मजदूरों की इस कमी के कारण मिल अपनी क्षमता के मुताबिक काम नहीं कर पा रही है। मिल की क्षमता 4,000 टन प्रतिदिन की है लेकिन फिलहाल यह हर दिन 3,000 टन उत्पादन ही कर पा रही है। बारामती एग्रो लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहित पवार के अनुसार, मजदूरों की कमी की यह समस्या अभूतपूर्व है तथा इससे राज्य में गन्ना पेराई सीजन की अवधि बढ़ जायेगी।
बताते चलें कि राज्य में लगभग 600 हार्वेस्टर मशीनें हैं, लेकिन किसानों को ये मशीनें गन्ना खेतों के अनुकूल नहीं लगतीं तथा खेत छोटे-छोटे होने के कारण इन मशीनों का उपयोग मुश्किल होता है।
यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.