जालंधर, 31 दिसम्बर: बीते एक साल से चिनी मिलों ने गन्ना किसानों को उनके बकायों का भुगतान नहीं किया जिसके कारण किसान अब गन्ने की खेती नहीं करना चाहते है।
बता दें कि अपने बकाये के शीघ्र भुगतान के लिए पिछने साल यहां के गन्ना किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद मिल प्रबंधनों की ओर से शीघ्र भुगतान करने का वादा किया गया था। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी चीनी मिलों ने किसानों का बकाया नहीं चुकाया। एक किसान यूनियन के अनुसार, अगर ऐसा ही चलता रहा तो किसान गन्ने की खेती करना बंद कर देंगे। एक यूनियन नेता ने कहा कि कई किसानों को लगता है कि उन्हें अपनी मेहनत के पैसे नहीं मिल पाते, इसलिए कई ने तो गन्ने की खेती करना बंद ही कर दिया है।
किसानों का कहना है कि बकाया नहीं मिलने के कारण उनके पास अपनी जरूरतें पूरा करने के लिए आढ़तियों और बैंकों से कर्ज लेने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि गन्ना ही एक ऐसी फसल थी जो राज्य को धान और गेहूं के दुष्चक्र से बाहर निकालने में मदद कर सकती है, लेकिन शायद सरकार को विविधतापूर्ण खेती की कोई परवाह ही नहीं है। फगवाड़ा के एक किसान ने बताया कि वह सालों से गन्ना बोते थे लेकिन पिछले एक साल के दौरान कष्ट झेलने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वे अब से ऐसा नहीं करेंगे। किसानों ने कहा कि अपने बकाया को पाने के लिए अब किसानों के पास धरना-प्रदर्शन करना ही एकमात्र रास्ता उपाय रह गया है।
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