देश की चीनी मिलो की शीर्ष संघठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने बुधवार को कहा की सरकार की ओर से अगले सीजन के लिए गन्ने के लाभकारी मूल्य में वृद्धि करने से मिलो की मुश्किल बढ़ जाएगी. केंद्र सरकार ने गन्ना किसानो के लिए तोहफे का एलान करते हुए बुधवार को गन्ने लाभकारी मूल्य (FRP) २० रूपये बढाकर २७५ प्रति क्विंटल कर दिया.
सरकार के इस फैसले के बाद इस्मा ने एक बयान जारी कर कहा की चालू सत्र में ९.५ फीसदी रिकवरी कर के आधार पर गन्ने का FRP २५५ रूपये प्रति क्विंटल होने पर भी मिलों के पास किसानो का बकाया जून के अंत में १८००० करोड़ रूपये था. इस्मा ने कहा पहली बार गन्ने के कीमतों की बकाया राशि इतनी अधिक हो गयी है जोकि अब तक की सबसे बड़ी राशि है.
सरकार के कदम से मीलों पर बढ़ेगा बोझ
उद्योग संघटन ने कहा के पिछले साल के मुक़ाबले जून में मीलों पर किसानो का बकाया करीब १४०००-१५००० करोड़ रूपये ज़्यादा है, इसलिए १० फासिदी रिकवरी दर पर सरकार की ओर से FRP २७५ रूपये तक करने से मीलों पर ओर बोझ बढ़ेगा. इस्मा ने कहा की सरकार जब तक कोई ठोस उपाय नहीं करेगी तब तक किसानोंको गन्ने के दाम का भुगतान करना मीलों के लिए मुश्किल होगा. उद्योग संघटन ने कहा की सरकार को ऐसा उपाय करना चाहिए ताकि का एक्स मिल रेट कम से कम ३५ रूपये प्रतिकिलो हो.
किसानों को भुगतान के लिए चीनी निर्यात बढ़ाने की ज़रूरत
इस्मा ने कहा की मीलों के पास नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए ६०-७० लाख टन चीनी निर्यात करने की जरुरत है. उद्योग संघटन के अनुसार अगले सीजन में चीनी का उत्पादन ३५०-३५५ लाख टन होने का अनुमान है, जबकि सालाना घरेलु खपत महज २५५ लाख टन है. इस्मा ने कहा की अगले साल मीलों को गन्ने की किम्मतों के रूप में ९७००० करोड़ रूपये का भुगतान करना होगा, जबकि मीलों के लिए मुश्किल होगा.