पुणे: चीनी मंडी राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि, चीनी मिलों को अब यह सोचने की आवश्यकता है कि, पिछले 50 -60 सालों से व्यापार करने के बावजूद हम आर्थिक रूप से अपने पैरों पर क्यों नहीं खड़े हो सकते। अब वक्त आ गया है की, अगर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में जीवित रहना होता तो चीनी उद्योग को आत्मनिर्भर होना ही पड़ेगा।
शरद पवार पुणे में एक चीनी सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। सम्मेलन का आयोजन राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले चीनी मिलों के सामने आने वाले सवालों और चुनौतियों का मंथन करने के लिए किया गया था। इस अवसर पर मंत्री दिलीप वलसे-पाटिल, महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ फेडरेशन के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर और नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (NFCSF) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे, राज्य के सभी प्रमुख चीनी मिलों के अध्यक्ष, निदेशक और प्रबंध निदेशक उपस्थित थे।
सम्मेलन में सवाल- जवाब के दौरान, मिलों के प्रतिनिधियों ने वित्तीय समस्याएं बताई। उन्होंने कहा की, अगर राज्य और केंद्र सरकार ने मिलों को वित्तीय सहायता नहीं दी, तो उद्योग को और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उनके सवालों का जवाब देते हुए पवार ने कहा कि, छह दशक के बाद भी चीनी उद्योग को सरकार के पास क्यों जाना पड़ता है, चीनी उद्योग अपने पैरों पर क्यों नहीं खड़ा हो रहा है? क्यों केंद्र या राज्य सरकार, बैंकों पर निर्भर होना पड़ता है। यह सवाल करते हुए कि, इतने सालों के कारोबार के बाद भी वह छोटी और बड़ी चीजों के लिए एक अलग फंड क्यों नहीं बना सके, पवार ने चीनी मिल मालिकों को आत्मचिंतन करने की सलाह दी।