मुंबई : चीनी मंडी
महाराष्ट्र में त्रस्त चीनी उद्योग ने आर्थिक संकट से बाहर निकलने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार से मदद मांगी है। चीनी उद्योग आर्थिक मंदी और परिचालन चुनौतियों के कारण गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा है। इस उद्योग से जुड़े कई दिग्गजों द्वारा गुरुवार को शरद पवार की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार की तर्ज पर वित्तीय पैकेज, लोन के पुनर्गठन और देश में बिक्री को बढ़ावा देने के लिए 250 रुपये प्रति क्विंटल की परिवहन सब्सिडी की मांग की गई है।
चीनी मिलों ने दावा किया है की चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य 3,100 रुपये प्रति क्विंटल और उत्पादन की लागत 3,400 रुपये प्रति क्विंटल है। ऐसी बाधाओं के बीच, मिलों को किसानों को उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) का भुगतान करना पड़ता है। केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य और उत्पादन लागत के बीच प्रति क्विंटल 300 रुपये का अंतर है। इससे वित्त का दबाव और बढ़ गया है। इसलिए मिलों ने मांग किया की राज्य सरकार को तुरंत उत्तर प्रदेश की तर्ज पर वित्तीय पैकेज देने की आवश्यकता है।
खबरों के मुताबिक, महाराष्ट्र का चीनी उद्योग उत्तर प्रदेश से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए 250 रुपये प्रति क्विंटल की परिवहन सब्सिडी चाहता है जो कि चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक है। बैठक में मौजूद सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल ने कहा कि, सरकार उद्योग की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।
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