पुणे: पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री, सांसद शरद पवार और उनके परिवार के स्वामित्व वाली एक कृषि आधारित कंपनी, बारामती एग्रो की अगुवाई में वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (VSI/ व्हीएसआय) द्वारा संचालित एक पायलट परियोजना के तहत पिछले साल शुरू किये गये चुकंदर के उत्पादन में इस साल अच्छा रिझल्ट मिल रहा है। ‘वीएसआई’ के महानिदेशक शिवाजीराव देशमुख ने कहा, वीएसआई द्वारा कंपनी में स्थापित संयंत्र में 12.5-13% की रिकवरी के साथ लगभग 25-40 टन प्रति हेक्टेयर चुकंदर से चीनी का उत्पादन हुआ है। ब्राजील विश्व स्तर पर चुकंदर का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया मुख्य रूप से गन्ने से चीनी का उत्पादन करते हैं।
150 एकड़ में चुकंदर की खेती करने वाले बारामती एग्रो ने इस सीजन में 200 एकड़ में चुकंदर की खेती करने का फैसला किया है। देशमुख ने कहा यह विचार गन्ने की चीनी को बदलने के लिए नहीं है, बल्कि किसानों की आय को बढ़ाना है और मिलों के लिए एक अतिरिक्त राजस्व धारा प्रदान कराना है। जालना और सांगली में दो मिलों ने चुकंदर की खेती करने और चुकंदर का उत्पादन करने का फैसला किया है।
देशमुख ने कहा पंजाब के राणा शुगर्स पिछले 8 सालों से 6,500 एकड़ में चुकंदर की खेती कर रहे हैं। हमने यह साबित कर दिया है कि ठंडी जलवायु में उगने वाली बीट को यहां भी उगाया जा सकता है। हालांकि, चुनौतियां हैं और किसान की ओर से कोई भी लापरवाही विफलता का कारण बन सकती है।
उन्होंने कहा परभणी से पूर्णा सहकारी चीनी मिल और उस्मानाबाद के डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर सहकारी चीनी मिल ने बीज मांगी है और परीक्षण भी शुरू कर दिया है लेकिन चुकंदर की खेती को अभी भी व्यावसायिक खेती होने के लिए लंबा समय है।
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