पुणे : चीनी मंडी
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि, चीनी उद्योग से संबंधित शोध अनुसंधान संस्थांनों मे निवेश बहुत कम है, इसलिए भविष्य में मांग के बावजूद, चीनी उद्योग चीनी के साथ साथ बिजली, इथेनॉल कि आपूर्ति नही कर सकता है। चीनी उद्योग को सशक्त बनाने के लिए अनुसंधान संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है, जिसके लिए निवेश बढाने की आवश्यकता है।
वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (वीएसआई) द्वारा आयोजित चीनी और संबद्ध उद्योग में स्थिरता – नवाचार और विविधीकरण पर द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पवार उद्घाटन भाषण दे रहे थे। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय चीनी महासंघ के कार्यकारी निदेशक डॉ.जोस ऑरिव्ह, पंजाब के सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, श्रम मंत्री दिलीप वलसेपाटिल, जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल, जल संसाधन राज्यमंत्री शंकरराव गडाख, गृहराज्य मंत्री सतेज पाटिल आदि उपस्थित थे।
पवार ने कहा कि, वीएसआई किसानों द्वारा स्थापित देश का एकमात्र संस्थान है। दुनियाभर के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से चीनी उद्योग को आगे ले जाने के प्रयास चल रहें है। चीनी उद्योग के विकास के लिए सभी लोगों को एक साथ आगे आने की जरूरत है। डॉ.जोस ऑरिव्ह ने कहा कि, भारत ने चीनी उद्योग का नेतृत्व अपने बलबुते पर अपने पास लाया है। जल्द ही भारत वैश्विक बाजार में ब्राजील से आगे निकलने वाला पहला देश होगा। भारत के इथेनॉल निति के कारण चीनी अधिशेष में काफी कमी हुई है।
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