चीनी उद्योग को विशेष पैकेज देकर पुनर्जीवित करने की है जरुरत: पूर्व कृषि मंत्री अजीत सिंह

नई दिल्ली, 5 फ़रवरी: केन्द्र सरकार देश के किसानों को आर्थिक रूप से ससशक्त और मजबूत बनाने के लिए कृत संकल्पित है। सरकार ने अपनी सोच को बजट के जरिए सार्थक करने की भरपूर कोशिश भी की है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट को किसान हितैषी बनाते हुए बीते साल की तुलना में 18 फीसदी की ज्यादा बढ़ोत्तरी कर 2.83 लाख करोड़ का प्रावधान किया है जो किसानों के प्रति सरकार की सोच को रेखांकित करता हैं। ये बजट निश्चित तौर पर देश के अन्नदाता को न केवल खुशहाल और सम्पन्न बनाएगा बल्कि 2022 तक किसानों की आमदनी को दो गुना करने का बड़ा माध्यम भी बनेगा। कैलाश चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां कृषि और कृषि आधारित उद्योगों जैसे गन्ना और चीनी उद्योग को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाने का काम किया है वहीं गन्ना किसानों को समय पर उनका बकाया दिलाने का काम भी किया है । चौधरी ने कहा कि जब चीनी मिलें आर्थिक तंगी से जूझ रही थी तब सरकार ने चीनी मिलों का जीर्णोद्धार करने के लिए बैल आउट पैकेज देकर उनको वित्तीय रूप से मजबूत करने का काम किया था। चौधरी ने कहा कि सरकार का मानना है कि चीनी मिलें मजबूत होगी तो गन्ना किसानों को समय पर उनका बकाया चुकाने में मदद मिलेगी ।

सरकार द्वारा आम बजट में खुद की पीठ थपथपाने और किसान हितैषी बनने का दावा करने पर सरकार को कठघरे में खडा करते हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री अजीत सिंह ने कहा कि बजट में गन्ना किसानों के लिए कुछ भी नहीं दिया गया है, सरकार किसानों को भ्रमित कर रही है। गन्ना किसान और चीनी उद्योग के विकास के बिना किसानों की आमदनी को दो गुना करना हकीकत से काफी परे है। सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार बजट प्रावधानों को किसानों के लिहाज से उपयुक्त बता रही है जबकि हकीकत ये है कि बजट में किसानों के लिए कुछ भी खास प्रावधान नहीं है। सिंह ने कहा कि सरकार ने कृषि मंत्रालय से अलग कर पशुपालन, डेयरी और मततस्य पालन मंत्रालय का गठन तो कर दिया लेकिन बजट में ऐसा कुछ दिखा नहीं जिससे कहा जा सके कि सरकार ने दोनों मंत्रालयों के लिए अपेक्षित बजट दिया है। अजीत सिंह ने कहा कि देश के गन्ना किसानों को सरकार से उम्मीदें थी कि गन्ना बकाया मूल्य की सालों से चली आ रही समस्या से निजात के लिए सरकार बजट में कुछ पहल करेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसी तरह से चीनी उद्यमियों को भी बजट से पूरी आस थी कि सरकार चीनी उद्योगों के कायाकल्प करने औऱ उन्हे आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए वर्तमान गन्ना नीति में बदलाव करेगी या चीनी मिलों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करेगी लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। सिंह ने कहा कि अगर देश के अन्नदाता को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है और उनकी आमदनी में इजाफा करना है तो गन्ना उद्योग और उससे संबद्द चीनी मिलों के लिए नई नीति बनाकर और विशेष पैकेज देकर पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है।

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