जयपुर : चीनी मंडी
राजस्थान के चीनी व्यापारियों का कहना है की राज्य सरकार को सालाना जीएसटी का लगभग 300 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है क्योंकि वह चीनी पर मंडी सेस नहीं हटाना चाहती है, जो लगभग 44 करोड़ रुपये राजस्व देता है। इसके अतिरिक्त, राज्य में महंगी चीनी न केवल उपभोक्ताओं पर बोझ डाल रही है, बल्कि निवेशकों को बिस्कुट, कन्फेक्शनरी और पेय जैसे एफएमसीजी उत्पादों के लिए संयंत्र स्थापित करने से भी दूर कर रही है। जीएसटी शासन लागू होने के बाद भी, राजस्थान में चीनी पर 1.6 प्रतिशत मंडी सेस लगता है।
राजस्थान शुगर ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यनारायण चितलांगिया ने कहा कि, सरकार अगर भारी जीएसटी राजस्व नहीं खोना चाहता है, तो अब मंडी सेस को समाप्त करने के लिए योग्य समय है। चितलांगिया ने बताया कि राज्य में मंडी सेस के चलते चीनी व्यापारियों को नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा, सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में चीनी की आवक पिछले कुछ वर्षों में कम हो रही है, जबकि इसे बढ़ जाना चाहिए। यह टैक्स संग्रह में भी साफ़ नजर आ रहा है, जो नहीं बढ़ रहा है। यह स्पष्ट है कि व्यापारियों को राजस्थान में आपूर्ति मिलती है, लेकिन टैक्स से बचने के लिए पता पड़ोसी राज्यों का दिया जाता है। उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार ने 2018-19 में लगभग 44 करोड़ रुपये का मंडी सेस प्राप्त किया है, लेकिन 300 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है क्योंकि व्यापारियों द्वारा पड़ोसी राज्यों को चीनी आपूर्ति पते के रूप में दिखाया गया है। चितलंगिया ने कहा, हम सरकार से बजट में मंडी सेस हटाने का आग्रह करते हैं।
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