कोलम्बो,15 फरवरी: वैश्विक जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से भारत ही नहीं पडौसी देश श्रीलंका में भी गन्ना की खेती प्रभावित हो रही है। मौसमी बदलाव की इस स्थिति से चीनी के उत्पादन पर भी असर हो रहा है। श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए श्रीलंकन सरकार के पूर्व वित्त मंत्री ईरेन विचकरमारत्ने ने कहा कि विकास की अन्धी होती दौड़ में मानवीय लापरवाही के कारण जलवायु परिवर्तन की समस्या सबके सामने आ रही है इसके कारण खेती पर नकारात्मक असर पड रहा है। इससे श्रीलंका जैसे देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार में भी ब्रेक लग रहे है। ईरेन विचकरमारत्ने ने कहा कि बीते एक दशक से ये समस्या ज्यादा उभरते हुए सामने आ रही है। आज स्थिति ये है कि एक ओर गन्ने की खेती का रकबा घटता जा रही है वहीं दूसरी ओर चीनी मिलों में अपेक्षित उत्पादन कम होता जा रहा है। इससे किसानों का खेती कम होने से उन्हे नुकसान हो रहा है तो मिलों में गन्ना कम आने से कामगारों को वेतन देने के लाले पड रहे है।
ईरेन विचकरमारत्ने ने कहा कि गन्ना हमारे देश की बारहमासी फसल है जो व्यावसायिक उपयोग के लिए देश के कई भागों में उगायी जाती है। वर्तमान में देश में तकरीबन 20,000 किसान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गन्ने की खेती से जुड़े है जिनकी आजीविका का महत्वपूर्ण आधार गन्ना ही है। यहां के हजारों किसान गन्ना से गुड़ और सीरप का उत्पादन कर अपनी रोजी रोटी चला रहे है। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण से बीते दशक से यहां गन्ने की फसल काफी हद तक प्रभावित हो रही है। गन्ना उत्पादन गिरने से चीनी उद्योग भी दयनीय हालातों से गुजर रहा है।
गन्ने की खेती में मौसमी परिवर्तन की चुनौतियों पर मीडिया से बात करते हुए कोलम्बो विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ कुमार सिंघे ने कहा कि बदलते मौसम के बादल कम बन रहे है और प्रकाश संश्लेषण कम होता जा रहा है। ऐसे मे बारिश भी कम हो रही है। इसके अलावा गन्ने की फसल में इन कारणों से गन्ना कीट येरोटोवैना लेनेगर का प्रकोप भी बढ़ रहा है। गन्ने की खेती में इस तरह की समस्याओं के निदान के साथ सूखे की समस्या को कम करने के लिए लिए वैज्ञानिक काम कर रहे है। किसान फसलों में रोपण और गन्ने की कटाई के समय में बदलाव करें, छोटे छोटे तालाब बनाएं जाए ताकि भूजल को बचा कर गन्ने की खेती के उपयोग में लाया जा सके। कुमार सिंघे ने कहा कि जलवाय परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को गंभीर निर्णय लेते हए ऐसी नीति बना रही है जो न केवल गन्ना उत्पादन बढ़ाने में कारगर होगी बल्कि चीनी मिलों को आर्थिक रूप सशक्त और मजबूत बनाने मेँ मददगार भी साबित होगी।
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