नई दिल्ली: 24 फरवरी 2020 को जारी अधिसूचना में, खाद्य मंत्रालय ने चीनी मिलों के निर्यात प्रदर्शन की समीक्षा करने के बाद उनके निर्यात कोटे को फिर से पुनःआवंटित किया है। जिसमे केवल उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात ही ऐसे राज्य हैं जिन्हें निर्यात के लिए अतिरिक्त कोटा आवंटित किया गया है।
आपको बता दे भारत अधिशेष चीनी से जूझ रहा है, जिसके बाद सीजन 2019-20 के लिऐ 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी गई थी। जिसके लिए सरकार उन्हें आर्थिक मदद भी करेगी। पिछले साल सरकार ने चीनी स्टॉक घटाने के लिए 2019-20 सीजन के लिए 10,448 रुपए प्रति टन चीनी निर्यात सब्सिडी को मंजूरी दी थी।
खाद्य मंत्रालय ने चीनी निर्यात की समीक्षा करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया था और मिलों को अपने निर्यात का विवरण देने के लिए कहा था।
कुछ चीनी मिलों ने अपने निर्यात कोटा को भारत सरकार को सरेंडर कर दिया था। सरकार के निर्णय के अनुसार, जनवरी 2020 के अंत तक उन चीनी मिलों के निर्यात का 20 प्रतिशत, जिन्होंने अपने चीनी निर्यात का 25 प्रतिशत अनुबंधित नहीं किया है, उन्हें आवंटित किया जाएगा जिन्होंने अपने निर्यात कोटे का अधिकांश इस्तेमाल कर लिया है और अधिक निर्यात करने के इछुक है।
ISMA के मुताबिक इस सीजन में अब तक 16 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है, जबकि करीब 32 लाख टन निर्यात का अनुबंध हुआ है। इस्मा का अनुमान है कि भारत इस साल 50 लाख टन चीनी का निर्यात कर पाएगा।
पिछले सीजन में सरकार ने MIEQ के तहत 5 मिलियन टन चीनी का लक्ष्य रखा था। हालांकि, भारत केवल 38 लाख टन चीनी निर्यात करने में कामयाब रहा था।
ISMA के अनुसार, इस साल 15 फरवरी तक देशभर की मिलों ने 169.85 लाख टन चीनी उत्पादन किया, जबकि पिछले सीजन की समान अवधि में यह उत्पादन 219.66 लाख टन था। चीनी सीजन 2019-20 में जिन 449 चीनी मिलों ने पेराई शुरू की थी, उनमें से 23 चीनी मिल अब तक पेराई बंद कर चुकी हैं। इसकी वजह गन्ने की कम आपूर्ति को बताया जा रहा है। पिछले साल 521 चीनी मिलों ने पेराई की थी, जिनमें से 19 मिलों ने पिछले साल की इस तारीख तक अपनी पेराई बंद कर दी थी।
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