मुंबई, एक अगस्त (भाषा) आने वाले समय में महंगाई बढ़ने की चिंता में रिजर्व बैंक ने दो महीने से भी कम समय में प्रमुख नीतिगत दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया है। रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंकों के कर्ज महंगे हो सकते हैं और मकान, वाहन तथा दूसरे कर्ज पर ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ सकता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के पांच सदस्यों ने रेपो दर बढ़ाने का समर्थन किया। इसके बाद रेपो दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का फैसला कर दिया गया। हालांकि, समिति ने मौद्रिक नीति के रूख को ‘‘तटस्थ’’ बनाये रखा है। रेपो दर पर केन्द्रीय बैंक दूसरे वाणिज्यक बैंकों को अल्पावधि के लिये कर्ज देता है।
रेपो दर में इस वृद्धि के साथ ही रिवर्स रेपो दर भी इसी अनुपात में बढ़कर 6.25 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) और बैंक दर भी 0.25 प्रतिशत बढ़कर 6.75 प्रतिशत हो गई है। रिवर्स रेपो वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों के पास पड़ी अतिरिक्त नकदी को अपने पास जमा करता है। इसी तरह नकदी की सीमांत स्थायी सुविधा रेपो के तहत मिली सुविधा के अतिरिक्त त्वरित उधार की सुविधा होती है।
मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के तीसरे दिन आज रेपो दर में वृद्धि का फैसला होने के बाद बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स करीब 85 अंक गिरकर 37,521.62 अंक पर आ गया। ब्याज दरें बढ़ने की आशंका में देश के सबसे बड़े बैंक स्टेटबैंक ने अपनी सावधि जमाओं पर ब्याज दर 0.1 प्रतिशत तक बढ़ाया है। दूसरे बैंक में भी इस दिशा में कदम उठा सकते हैं। इससे कर्ज लेना महंगा हो सकता है।
रिजर्व बैंक ने इससे पिछली मौद्रिक समीक्षा में छह जून 2018 को रेपो दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था। इससे पहले रेपो दर में आखिरी बार जनवरी 2014 में वृद्धि की गई थी। तब इसे 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर आठ प्रतिशत किया गया था। इसके बाद रेपो दर में लगातार गिरावट आती रही। दो अगस्त 2017 को रेपो दर घटती हुई 6 प्रतिशत पर आ गई।
चालू वित्त वर्ष की आज हुई तीसरी मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को लेकर कई तरह की चिंतायें जताईहैं। विश्व बाजार में अस्थिर कच्चे तेल के दाम, वित्तीय बाजारों की अनिश्चितता, कंपनियों के लिये कच्चे माल के बढ़ते दाम, मानसून वर्षा का असंतुलित वितरण, खाद्यान्नों के एमएसपी में वृद्धि और वित्तीय मोर्चे पर लक्ष्य पाने में असफल रहने जैसे कई कारण समीक्षा में गिनाये गये हैं।
मौद्रिक नीति समिति ने कहा, ‘‘इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुये एमपीसी ने नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया है। एमपीसी ने मुख्य मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।’’
मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुये रिजर्व बैंक ने दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत और दूसरी छमाही में इसके 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। पिछली समीक्षा में केन्द्रीय बैंक ने पहली तिमाही में मु्द्रास्फीति 4.8 से 4.9 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। केन्द्रीय कर्मचारियों के आवास किराया भत्ता वृद्धि के असर के इसमें शामिल किया गया था।
कुल मिलाकर रिजर्व बैंक ने 2018-19 की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि को 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। पहली छमाही में इसके 7.5–7.6 प्रतिशत के दायरे में और दूसरी छमाही में 7.3 से 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया।
एमपीसी की छह सदस्यीय समिति में से पांच सदस्यों – चेतन घाटे, पामी दुआ, माइकल देबब्रत पात्रा, विरल वी आचार्य और उर्जित पटेल ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में मत दिया जबकि एक सदस्य रविन्द्र एच ढोलकिया ने इसके खिलाफ मत दिया।