नई दिल्ली। गन्ना किसानों का आरोप है की उनकी खस्ताहाली की वजह चीनी मिलें ही हैं। वे कहते है हम अपना धन लगाकर और खून-पसीने से उगाई गई गन्ने की फसल को बेचते हैं, लेकिन हमे भुगतान मिलने में बड़ा समय लगता है। न्यूज़ एजेंसी PTI के मुताबिक चीनी मिलों ने पिछले दो सीजन के 2,400 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान अब तक गन्ना किसानों को नहीं किया गया है। इसमें 2,300 करोड़ रुपए 2018-19 का जबकि 100 करोड़ रुपए 2017-18 सत्र का बकाया है।
हालांकि इसका कारण गत दो सीजन (2017-18 और 2018-19) में चीनी के अधिक उत्पादन को माना जा रहा है। ज्यादा उत्पादन से दो साल में चीनी की कीमतें गिर गईं, जिससे मिलों की आय पर असर पड़ा और वे गन्ना किसानों को भुगतान चुकाने में विफल रहे। सरकार ने भी अपनी तरफ से चीनी मिलों को आर्थिक तंगी से निकालने के लिए बहुत प्रयास किये है।
गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के तहत, गन्ना आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान करना जरूरी है। इसमें विफल रहने पर मिलों को 15 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने का नियम भी है। जिसको लेकर गन्ना किसानों हमेशा आरोप लगाते रहते है की चीनी मिलें इस नियम का पालन नहीं करती।
गन्ना किसानों का दावा है कि उनकी वित्तीय स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है क्योंकि उन्हें मिलों से बकाया नहीं मिला है और वे न तो अपने परिवार का भरण पोषण कर पा रहे हैं, न ही अपने बच्चों की स्कूल फीस भर पा रहे हैं।
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