कोलंबो, 27 फरवरी: श्रीलंका में खपत के रूप में उपयोग आने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में से चीनी भी एक है। देश में गन्ने की कम होती खेती और अन्य कारणों से चीनी मिलों में जहां गन्ना कम मात्रा में आ रहा है वहीं चीनी मिलों द्नारा भी चीनी के बजाय इथेनॉल निर्माण में रुचि लेने से चीनी का घरेलू उत्पादन घटता जा रहा है। इसके अलावा गन्ने की खेती कम हो रही है। इससे चीनी उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
श्रीलंका चीनी आयात संघ के उप निदेशक हमेका फ़र्नांडो ने कहा कि उत्पादन में कमी का कारण चीनी की तुलना में इथेनॉल के निर्माण पर मिलों द्वारा ज्यादा ध्यान देना भी है। इससे गन्ने का ज्यादा उपयोग इथेनॉल बनाने के काम में होता जा रहा है। परिणाम ये हुआ कि अब इथेनॉल की मांग में बढोत्तरी होने से चीनी की कमी हो रही है, जिससे चीनी के रेट भी बढ गये है और चीनी 15 रुपये प्रति किलों तक मंहगी होती जा रही है।
फ़र्नांडो ने कहा कि श्रीलंका में चीनी का घरेलू उत्पादन जितना है उससे कही ज्यादा खपत है। इस विशाल खपत लक्ष्य की पूर्ति के लिए देश को चीनी आयात करनी पडती है। इसके लिए सरकार को करोड़ो रूपये खर्च करने पड़ते है। ऐसे में श्रीलंका सरकार को चाहिए कि चीनी आयात कर देश की मुद्रा को बाहर भेजने से बेहतर है कि गन्ना उत्पादन को बढावा दे और चीनी का उत्पादन ज्यादा करें जिससे देश के किसानों, चीनी मिलों और उपभोक्ताओं को फायदा हो और देश का पैसा देश में ही रहे।
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